410 आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड कर बनाए जाएंगे प्ले स्कूल, आठ नए क्रेच खुलेंगे : सीमा प्रसाद

गर्भवती महिलाओं किशोरियों व बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। कोरोना संक्रमण के चलते योग्य पात्रों को डोर स्टेप तक पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही लिग जांच और भ्रूण हत्या जैसे अपराध को रोकने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:13 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:13 AM (IST)
410 आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड कर बनाए जाएंगे प्ले स्कूल, आठ नए क्रेच खुलेंगे : सीमा प्रसाद
410 आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड कर बनाए जाएंगे प्ले स्कूल, आठ नए क्रेच खुलेंगे : सीमा प्रसाद

जागरण संवाददाता यमुनानगर : गर्भवती महिलाओं, किशोरियों व बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। कोरोना संक्रमण के चलते योग्य पात्रों को डोर स्टेप तक पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही लिग जांच और भ्रूण हत्या जैसे अपराध को रोकने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। विभाग से जुड़ी अन्य तमाम योजनाओं को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने विभाग की कार्यक्रम अधिकारी सीमा प्रसाद से बातचीत की है। सीमा प्रसाद ने गत दिनों ही कार्यक्रम अधिकारी का पदभार संभाला है।

सवाल : जिले में कुल कितने आंगनबाड़ी केंद्र हैं और बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने व महिलाओं के विकास को लेकर विभाग की ओर से क्या-क्या योजनाएं चलाई हुई हैं।

जवाब : कुल 1281 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। केंद्रों पर छह वर्ष तक के बच्चों, दूध पिलाने वाली, गर्भवती महिलाओं व किशोरियों को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है। बच्चों का मनोवैज्ञानिक, शारीरिक व स्वास्थ्य में सुधार ही विभाग का उद्देश्य है। सवाल : जिला के कितने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के तौर पर अपग्रेड किए जाने की योजना है?

जवाब : जिला के अलग-अलग खंड में 410 आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड कर प्ले स्कूल बनाया जाएगा। इस दिशा में शुरुआत हो चुकी है। यहां बच्चों को पोषाहार के साथ-साथ पढ़ाया भी जाएगा। इसके अलावा आठ नए क्रेच खोले जाएंगे। इनमें कामकाजी महिलाओं के बच्चे आ सकेंगे। बच्चों को घर के जैसा माहौल मिलेगा। सवाल : जिले में लिगानुपात की क्या स्थिति है और सुधार के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

जवाब : बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अब एक हजार बेटों के पीछे 931 बेटियां हैं। इसे भविष्य में और भी बेहतर बनाने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास गांव की सभी गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड होता है। इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि कोई भी महिला लिग जांच व भ्रूण हत्या जैसा घिनौना काम न करें। स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर समय-समय अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर रेड भी की जाती है।

सवाल : कोरोना संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। पात्रों तक पोषाहार कैसे पहुंचाया जा रहा है?

जवाब : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पात्रों को उनके डोर स्टेप पर पोषाहार उपलब्ध करवा रही हैं। सामान्य दिनों में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दिए जाने वाले पोषाहार में मीठा दलिया, आलू पूरी, मीठा चावल, मीठा गुलगुला, भरवां पराठा व नमकीन चावल शामिल है। इसके लिए अलग-अलग दिन निर्धारित हैं। इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते लाभार्थियों को निर्धारित मात्रा अनुसार कच्चा राशन उनके घर पर पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है। साथ ही फोर्टिफाइड स्किम्ड मिल्क पाउडर (सूखा दूध) भी दिया जा रहा है। सवाल : जो बच्चे गुम हो जाते हैं, उनको परिवारों से मिलाने की दिशा में क्या प्रयास हैं?

जवाब : गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से मिलाप नाम से अभियान शुरू किया है। इस बारे लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक भी किया जा रहा है। बच्चे के गुम होने की स्थिति में उसकी लिखित रिपोर्ट करने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 जारी है। कोई भी व्यक्ति इस नंबर पर रिपोर्ट कर सकता है। सवाल : महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए क्या प्रयास हैं?

जवाब : महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से कई तरह की योजनाएं चलाई हुई हैं। महिलाओं को सुरक्षा प्रदान के लिए वन स्टाप सेंटर की योजना शुरू की हुई है। यहां किसी भी तरह की हिसा से पीड़ित महिला को पांच दिन के लिए आश्रय, विधि सहायता व चिकित्सा की सुविधा दी जाती है। सवाल : आपने गत दिनों ही जिला कार्यक्रम अधिकारी का पदभार संभाला। क्या प्राथमिकता रहेगी।

जवाब : सरकार की योजनाओं को हर योग्य पात्र तक पहुंचाना, आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनाए रखना व पोषण अभियान के तहत महिलाओं व बच्चों में कुपोषण व खून की कमी को दूर करने के लिए इस

जैसे अभियानों को प्रभावी ढंग से लागू करना ही हमारी प्राथमिकता रहेगी। विभाग के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के सहयोग से इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।

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