संकट आने पर ही मनुष्य को याद आते हैं भगवान व संत : महेशाश्रम

मनुष्य को कर्म के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है। इसलिए मनुष्य थोड़े से सुख पाने के बाद से मदानंद हो कर धर्म आचरण और परमात्मा का चितन छोड़ देता है। जब दुख पड़ता है तब मनुष्य भगवान व संतों के शरणागत में सुख शांति का उपाय खोजता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 06:17 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 06:17 AM (IST)
संकट आने पर ही मनुष्य को याद आते हैं भगवान व संत : महेशाश्रम
संकट आने पर ही मनुष्य को याद आते हैं भगवान व संत : महेशाश्रम

संवाद सहयोगी, रादौर : श्रीनागेश्वर धाम पक्का घाट मंदिर में चल रही रामकथा के सातवें दिन शुक्रवार को महंत दंडी स्वामी महेशाश्रम महाराज ने बताया कि मनुष्य को कर्म के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है। इसलिए मनुष्य थोड़े से सुख पाने के बाद से मदानंद हो कर धर्म आचरण और परमात्मा का चितन छोड़ देता है। जब दुख पड़ता है तब मनुष्य भगवान व संतों के शरणागत में सुख शांति का उपाय खोजता है। परंतु परमात्मा श्री राम ब्रह्म होते हुए भी मनुष्यता को वर्ण करने के बाद से भी समभाव रहते थे। जैसे जनकपुर से चारों भाइयों का विवाह होकर जब अयोध्या में भगवान राम का प्रस्थान हुआ तो महाराज दशरथ ने भगवान राम को राजा बनाना चाहा। परंतु पारिवारिक विवाद एवं एक व्यक्ति के विवादित होने के कारण भगवान राम को वन जाना पड़ा। वनवास जाते समय उन्हें कोई ग्लानि नहीं हुई, क्योंकि यह मनुष्यता का एक सात्विक प्रमाण है। क्योंकि मनुष्य के जीवन में सुख दुख दोनों आना संभव है। अपने स्थिर सुख की स्थिरता के लिए भगवान श्री राम का यथाशक्ति भक्ति मार्ग पर चलने का प्रयत्न करना चाहिए। सुख शांति हमारे जीवन में स्थिर रहें इसके लिए भगवान श्री राम से शिक्षा लेकर के मनुष्यता को वरण करना चाहिए। मौके पर धनंजय स्वरूप ब्रह्मचारी, पंडित ज्ञानप्रकाश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा खुर्दबन, बलबीर बंसल, पप्पू शर्मा, सीता राम सैनी, विनोद सैनी, सरला देवी, परमेश्वरी देवी, माया देवी, कौशल मौजूद रहे।

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