पांडवों ने ऋणमोचन सरोवर में स्नान से पूर्व की थी गौरी शंकर मंदिर में स्वयंभू शिवलिग की अराधना

जडौदा गेट स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर प्राचीन काल से विद्यमान है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद कपालमोचन स्थिति ऋणमोचन तलाब में स्नान करने से पूर्व पांडवों ने इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिग की अराधना की थी। पहले शिवलिग एक छोटे से कमरे में था करीब 60 साल पहले मंदिर का निर्माण किया गया। फिलहाल इस मंदिर को धर्म स्थल रक्षक कमेटी द्वारा संचालित किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:41 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:41 AM (IST)
पांडवों ने ऋणमोचन सरोवर में स्नान से पूर्व की थी गौरी शंकर मंदिर में स्वयंभू शिवलिग की अराधना
पांडवों ने ऋणमोचन सरोवर में स्नान से पूर्व की थी गौरी शंकर मंदिर में स्वयंभू शिवलिग की अराधना

संवाद सहयोगी, जगाधरी : जडौदा गेट स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर प्राचीन काल से विद्यमान है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद कपालमोचन स्थिति ऋणमोचन तलाब में स्नान करने से पूर्व पांडवों ने इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिग की अराधना की थी। पहले शिवलिग एक छोटे से कमरे में था, करीब 60 साल पहले मंदिर का निर्माण किया गया। फिलहाल इस मंदिर को धर्म स्थल रक्षक कमेटी द्वारा संचालित किया जा रहा है। सिद्धपीठ मंदिर में होती है मनोकामनाएं पूर्ण :

श्री गौरी शंकर मंदिर देश में सिद्धपीठ के नाम से मशहूर है। जो श्रद्धालु जिस भाव से मंदिर में आता है, भगवान शिव उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। मंदिर के पूजारी पंडित रामस्वरूप उपाध्याय ने बताया कि सावन मास में प्रतिदिन शिव पुराण का पाठ किया जाता है। जिसमें शिव की महिमा का गुणगान किया जा रहा है। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की हो रही पालना :

पंडित रामस्वरूप उपाध्याय ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की पूरी पालना की जाती है। दर्शन के लिए भी एक-एक श्रद्धालु ही मंदिर के अंदर जाता है। मंदिर के एंट्री गेट पर सैनिटाइजर मशीन लगाई गई है, हाथ सैनिटाइज करने के बाद भी श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं। सावन की समाप्ति पर मंदिर में हवन यज्ञ किया जाएगा। भंडारे के लिए प्रसाद तैयार कर वितरित किया जाएगा। मंदिर का इतिहास

श्री गौरी शंकर मंदिर स्थित शिवलिग स्वयंभू है। जो कि सैकड़ों वर्ष पुराना है। शिवरात्रि पर दूर दराज के लोग मंदिर में शिवलिग के दर्शन के लिए आते हैं। पांडवों ने भी इस मंदिर में भगवान शिव की अराधना की थी। मंदिर की विशेषता:

मंदिर परिसर में स्वयंभू शिवलिंग के अलावा राम दरबार, लड्डू गोपाल, हनुमान, नवग्रह, वामन भगवान, भगवान विष्णु-लक्ष्मी, मां सरस्वती, मां संतोषी के अलावा अन्य मूर्तियां स्थापित है। मंदिर के साथ ही गौरी कुंड बनाया गया है। वामन द्वादशी पर इसी कुंड के किनारे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कुंड के चारों तरफ हरियाली के लिए पौधे रोपित किए गए हैं। शिवरात्रि पर भंडारे का आयोजन, सावन महीने में शिवपुराण की कथा, माघ महीने में श्रीमद्भागवत कथा, कार्तिक महीने में राम चरित मानस का जाप किया जाता है।

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