पोर्टल से गायब हुआ धान की फसल का ब्यौरा, किसान परेशान
मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल से धान का रकबा कट जाने से क्षेत्र के किसान काफी परेशान हैं। किसानों को चिता सता रही है कि पोर्टल पर ब्यौरा न होने से मंडी में उनकी फसल कैसे बिकेगी। किसानों का कहना है कि उन्होंने मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत पोर्टल पर अपनी धान की फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब किसानों को पता चला कि पोर्टल में उनकी फसल का सही ब्यौरा नहीं है। रकबा काट दिया गया है।
संवाद सहयोगी, सरस्वतीनगर : मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल से धान का रकबा कट जाने से क्षेत्र के किसान काफी परेशान हैं। किसानों को चिता सता रही है कि पोर्टल पर ब्यौरा न होने से मंडी में उनकी फसल कैसे बिकेगी। किसानों का कहना है कि उन्होंने
मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत पोर्टल पर अपनी धान की फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब किसानों को पता चला कि पोर्टल में उनकी फसल का सही ब्यौरा नहीं है। रकबा काट दिया गया है।
गांव अंबली के राजेंद्र सैनी ने बताया कि उन्होंने पोर्टल पर अपनी 3.5 एकड़ धान की फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब उनकी मात्रा आधा एकड़ फसल पोर्टल पर रह गई बाकी गायब है। गांव कन्हड़ी कला के अनिल कुमार की तीन एकड़ से घटकर दो एकड़ रह गई। माई चरण ने बताया कि उसकी दो एकड़ से कटकर एक रह गई है। थाना छप्पर के सतीश ने बताया कि उसने तीन एकड़ का रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन अब पोर्टल पर एक एकड़ भी नहीं है। देशराज की 15 से 10 एकड़ रह गई। बीड़ बलसुआ के मोहिद्र सिंह की छह से चार रह गई। संतराम ने दो एकड़ का रजिस्ट्रेशन करवाया था। अब एक एकड़ भी नहीं है। जिनकी फसल का ब्यौरा पोर्टल से कटा है, वह मार्केट कमेटी उपतहसील व आढतियों के चक्कर काट रहे हैं। आखिर वे अपनी फसल कहां लेकर जाएं। किसानों ने मांग की है कि उनकी पूरी फसल पोर्टल पर चढ़ाई जाए। इनसेट दूर करवाई जाएगी समस्या
नायब तहसीलदार रविद्र शर्मा का कहना है कि इसके लिए चार तरह की गिरदावरी होती है। एक तो स्वयं किसान अपना पंजीकरण करवाता है, दूसरा कृषि विभाग द्वारा किया जाता है। तीसरी सेटेलाइट द्वारा की जाती है। अगर यह तीनों मिसमैच होती है तो दिक्कत आती है। चौथी गिरदावरी पटवारी द्वारा की जाती है जो अभी पूरी जरूर हुई है लेकिन अपडेट नहीं हुई। इन सभी को दो दिन में वेरिफाई करके पूरा कर दिया जाएगा।