मौसम की बेरुखी से रुकी मंडियों में धान की आवक, 52 हजार एमटी कम
मौसम की बेरुखी से अनाज मंडियों में इस बार धान की आवक धीमी है। गत वर्ष अब तक जिले की 13 अनाज मंडियों में तीन लाख 49 हजार 435 एमटी धान की आवक हुई थी वहीं इस बार दो 98 हजार 617 एमटी धान पहुंचा है। 50818 एमटी धान कम आई है। क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश ने कटाई प्रभावित हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम साफ होने के बाद ही कटाई जोर पकड़ेगी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
मौसम की बेरुखी से अनाज मंडियों में इस बार धान की आवक धीमी है। गत वर्ष अब तक जिले की 13 अनाज मंडियों में तीन लाख 49 हजार 435 एमटी धान की आवक हुई थी, वहीं इस बार दो 98 हजार 617 एमटी धान पहुंचा है। 50818 एमटी धान कम आई है। क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश ने कटाई प्रभावित हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम साफ होने के बाद ही कटाई जोर पकड़ेगी। उधर, बारिश के कारण आवक कम होने से उठान हो गया है। जिससे आढ़तियों को राहत मिली है। 298617 एमटी में से 258223 एमटी का उठान हो चुका है।
कहां कितनी पहुंची गेहूं
बिलासपुर : 25092
छछरौली : 33996
गुमथला राव : 4237
जगाधरी : 45398
जठलाना : 3398
खारवन : 5872
प्रतापनगर : 36898
सरस्वतीनगर : 65567
रादौर : 35139
रणजीतपुर : 7423
रसूलपुर : 11540
साढौरा : 23705
यमुनानगर : 352
नमी के नाम पर काट का खेल
बारिश होने से किसानों जहां खेतों में नकुसान झेलना पड़ा है, वहीं मंडी में नमी के नाम पर काट का खेल चल रहा है। 17 फीसद से अधिक नमी होने पर प्रति क्विंटल काट कट जाती है। यही कारण है कि किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। हालांकि रेट 1960 रुपये घोषित है, लेकिन किसान तक 50-100 रुपये कम ही पहुंच रहे हैं। किसान चाहकर भी आवाज नहीं उठा पाता है। क्योंकि उसको आढ़ती से संबंध खराब होने का भय रहता है। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो रही है। किसी किसान की धान 1800 रुपये प्रति क्विटल बिकती है तो किसी की 1900 रुपये प्रति क्विटल। नमी का हवाला देकर कट लगाया जा रहा है।
सुखाकर लाएं धान
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने किसानों से अपील की हैं कि किसान मंडी में अपनी धान की फसल सूखाकर ही लाएं, ताकि किसानों को फसल का सही समय पर व उचित मूल्य मिल सके। उन्होंने सभी खरीद एजेंसियों को निर्देश दिए कि वह मंडियों से खरीदे गए धान को जल्दी उठाने की व्यवस्था करें, ताकि किसान सुविधापूर्ण तरीके से अपनी फसल बेच सके। किसानों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करने दिया जाएगा। मंडी में सभी बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं।