ट्रामा सेंटर की बिल्डिग में चल रही ओपीडी, लगी रहती है मरीजों की भीड़

सिविल अस्पताल में इस समय नई बिल्डिग का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसका असर ट्रामा सेंटर पर पड़ रहा है। ट्रामा सेंटर की बिल्डिग में ही ओपीडी चलाई जा रही है। जिससे यहां पर मरीजों की भीड़ रहती है। डाक्टरों के बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। सबसे अधिक दिक्कत मरीजों को आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 05:27 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 05:27 AM (IST)
ट्रामा सेंटर की बिल्डिग में चल रही ओपीडी, लगी रहती है मरीजों की भीड़
ट्रामा सेंटर की बिल्डिग में चल रही ओपीडी, लगी रहती है मरीजों की भीड़

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

सिविल अस्पताल में इस समय नई बिल्डिग का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसका असर ट्रामा सेंटर पर पड़ रहा है। ट्रामा सेंटर की बिल्डिग में ही ओपीडी चलाई जा रही है। जिससे यहां पर मरीजों की भीड़ रहती है। डाक्टरों के बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। सबसे अधिक दिक्कत मरीजों को आ रही है। ट्रामा सेंटर में जगह कम होने की वजह से यहां पर एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों को लिटाना पड़ रहा है। कुछ मरीजों को पहली मंजिल पर बरामदे में लिटाना पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नई बिल्डिग का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह दिक्कत दूर हो जाएगी। वर्ष 2010-11 में ट्रामा सेंटर की सेवा शुरू हो गई थी। एक साल में यहां पर हादसे, लड़ाई झगड़े, जहर व अन्य इमरजेंसी में करीब 30 हजार मरीजों को उपचार मिल रहा है। ट्रामा सेंटर में मरीजों की काफी भीड़ होती है। पार्किंग की जगह न होने की वजह से मरीज व उनके तीमारदार वाहनों को लेकर ट्रामा सेंटर के सामने ही पहुंचते हैं। यहीं पर वाहनों को खड़ा किया जाता है। कई बार भीड़ अधिक होने की वजह से ऐसे हालात बनते हैं कि एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं मिल पाता। बिना न्यूरो सर्जन के चल रहा ट्रामा सेंटर

शुरूआत से ही ट्रामा सेंटर में न्यूरो सर्जन नहीं है। जिस कारण यहां पर सिर में चोट लगने वाले मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल पता। उनको उपचार के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ व प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। जिससे उनकी परेशानी बढ़ती है। ट्रामा सेंटर में जिले के अलावा हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के मरीज भी उपचार के लिए आते हैं। ट्रामा सेंटर में स्टाफ की भी काफी कमी है। एक सर्जन यहां से छोड़कर चले गए हैं। उसके बाद कोई नया सर्जन नहीं आया। व्यवस्था बनाने के लिए जगाधरी से सर्जन की सप्ताह में दो दिन के लिए ड्यूटी लगाई गई है। इसी तरह से फिजिशियन व अन्य कई विशेषज्ञ भी पर्याप्त नहीं है। जिस वजह से मरीजों को ही परेशानी झेलनी पड़ती है। कई दफा सामाजिक संगठनों ने न्यूरो सर्जन व कम स्टाफ को पूरा करने की आवाज भी उठाई। उसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। जलजमाव की बड़ी समस्या :

ट्रामा सेंटर से पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। बरसात में यहां पर जलजमाव होता है। कई दिन तक पानी जमा रहता है। चिकित्सकों की ओपीडी के सामने सीवरेज जाम है। जिसका पानी ओवरफ्लो होकर बहता रहता है। मरीज इस पानी के बीच ही खड़े रहते हैं, तो कुछ यहीं पर पड़ी बैंचों पर बैठे रहते हैं। हर समय बदबू उठती रहती है।

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