टेंडर-टेंडर खेल रहे अधिकारी, फाइलों तक सिमटा 69 कालोनियों का विकास

नगर निगम एरिया में बसी 69 कालोनियों में लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। इन कालोनियों का विकास कभी बजट तो कभी टेंडर प्रक्रिया में उलझा रहा। हालांकि एक बार टेंडर लगा दिए गए लेकिन टेंडर बड़े होने के कारण पार्षद विरोध में उतर आए। आखिरकार टेंडर रद करना पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 06:07 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 06:07 AM (IST)
टेंडर-टेंडर खेल रहे अधिकारी, फाइलों तक सिमटा 69 कालोनियों का विकास
टेंडर-टेंडर खेल रहे अधिकारी, फाइलों तक सिमटा 69 कालोनियों का विकास

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम एरिया में बसी 69 कालोनियों में लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। इन कालोनियों का विकास कभी बजट तो कभी टेंडर प्रक्रिया में उलझा रहा। हालांकि एक बार टेंडर लगा दिए गए, लेकिन टेंडर बड़े होने के कारण पार्षद विरोध में उतर आए। आखिरकार टेंडर रद करना पड़ा। उसके बाद छोट-छोटे टेंडर लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई। वह भी आज तक सिरे नहीं चढ़ पाई। दूसरा, बजट न होने का हवाला भी दिया जा रहा है। इन कालोनियों में बसे लोग व्यवस्था को कोस रहे हैं। आज तक अधिकारी टेंडर-टेंडर खेल रहे हैं। पहले बड़ा, फिर लगाए छोटे टेंडर

नवंबर-2019 में कालोनियों में सड़कों के निर्माण के लिए दो बार टेंडर लगाया गया। लेकिन दोनों बार एजेंसी शर्तों को पूरा नहीं कर पाई और टेंडर रद करना पड़ा। जनवरी 2020 में अधिकारियों ने कालोनियों में निकासी व सड़कों के निर्माण के लिए 22 करोड़ रुपये का एक टेंडर लगाया है, जबकि पार्षद छोटे-छोटे टेंडर किए जाने के पक्ष में थे। पार्षदों का कहना था कि एक ही एजेंसी को सभी कार्यों के टेंडर अलाट करने का निर्णय सही नहीं है। वार्ड वाइज टेंडर लगने चाहिए। एक ही एजेंसी पर काम होने पर काम समय पर पूरा नहीं होगा। वार्ड के हिसाब से टेंडर लगने पर काम पर निगरानी रखी जाएगी। समय पर काम पूरा होने पर जनता को लाभ होगा। अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। टेंडर प्रक्रिया पर भी उठ चुके सवाल

फरवरी 2021 में यूएलबी से मंजूरी मिलने के बाद कालोनी वाइज छोटे टेंडर लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन इस दौरान वार्ड 20 से पार्षद प्रतिनिधि व पूर्व पार्षद नीरज राणा सहित अन्य पार्षदों ने टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए। आरोप लगाया कि उन कालोनियों को भी शामिल किया जा रहा है जिनमें पहले से ही अन्य स्कीमों के तहत विकास कार्य हो चुके हैं। मामला सीएम तक पहुंच गया। टेंडर प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए अब उन वार्डों का सर्वे कराए जाने का निर्णय लिया गया, जिनकी विभिन्न कालोनियों में काम पूरा हो चुका है। अभी तक इन कालोनियों में विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए। अधिकारी केवल टेंडर प्रक्रिया से ही बाहर नहीं आ पा रहे हैं। सितंबर-2018 में हुई थी नियमित

सितंबर 2018 में सरकार ने प्रदेश की एक हजार कालोनियों को नियमित किया था। इनमें से 69 कालोनियां यमुनानगर-जगाधरी की हैं। प्रथम चरण में 22 कालोनियां में सुविधाएं प्रदान किए जाने की योजना बनी थी। इन पर 23 करोड़ 13 लाख रुपये खर्च किए जाने का खाका तैयार हुआ था। बाकी कालोनियां दूसरे फेस में कवर किया जाना था। इनमें भी करीब 37 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की योजना बनाई गई थी। ये हैं कालोनियों के हालात

मायापुरी निवासी निवासी रमेश, शिव कुमार व दिनेश का कहना है कि इन कालोनियों में पानी की निकासी की समस्या बड़ी है। गलियां कच्ची पड़ी हैं। नालियों की नियमित रूप से सफाई नहीं होती। कचरे का उठान नहीं होता। जोहड़ गंदगी से अटे पड़े हैं। इनकी सफाई आज तक नहीं हुई है। अधिकांश गांवों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। जो लाइटें लगी हैं, वह खराब हैं। बारिश के दिनों में समस्या और भी बढ़ जाती है। लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

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