इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता

दबे पांव सरकार को कोसते हुए लौट आते हैं। लौटते हुए लोगों को यहां तक कह दिया जाता है कि आपका काम ठीक है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 05:52 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:10 AM (IST)
इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता
इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता

जनता विकास कार्य करवाने के लिए अधिकारियों के पास दफ्तरों में जाती हैं। अधिकारी बजट नहीं होने का रोना रोते हैं। यह सुनकर लोग भी दबे पांव सरकार को कोसते हुए लौट आते हैं। लौटते हुए लोगों को यहां तक कह दिया जाता है कि आपका काम ठीक है। बजट के अभाव में वह कुछ नहीं कर सकते। इससे उलट मामला सामने आया है शहर की अमरूत योजना के तहत आए पैसे के खर्च करने में। पांच करोड़ रुपये सरकार ने दिए, ताकि लोगों को पेयजल व सीवरेज की दिक्कत का सामना न करना पड़े। अधिकारियों ने यह पैसा खर्च नहीं किया। यमुनानगर विधायक ने बजट का उपयोग नहीं होने पर बैठक में यहां तक कहा दिया कि इससे बड़ा पाप कोई नहीं हो सकता। योजना के बाद सरकार पैसा भेज रही है और अधिकारी इसे खर्च नहीं कर रहे। विधायक के सवाल पब्लिक हेल्थ व नगर निगम अधिकारी बगले झांकने लगे। नियमों की पालना करवाने वाले ही तोड़ रहे नियम

यमुना स्वच्छ हो। होनी भी चाहिए। आम व खास कहते भी सभी हैं। इससे धार्मिक आस्था भी जुड़ी है। यह सब होने के बाद भी नियम तोड़ने में सरकारी अधिकारी सबसे आगे हैं। अब जब अधिकारी ही नियमों की हवा निकालेंगे तो आमजन से क्या उम्मीद की जा सकती है। सिचाई विभाग के अधिकारी कहते हैं यमुना नदी व नहर में ट्रीट व इनट्रीट किसी भी तरह का पानी नहीं छोड़ा सकता है। केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया के सामने दोनों विभाग ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी लगाएं। मंत्री भी माने कि पानी छोड़ना गलत हैं। इसी तरह से नगर निगम के अधिकारी भी यमुना के पानी को दूषित करने में पीछे नहीं हट रहे। काफी नाले सीधे यमुना में छोड़े जा रहे है। यह पानी सिचाई के साथ साथ दिल्ली व दक्षिणी हरियाणा के लोग पीते भी हैं। अब देखना है कि मंत्री क्या तोड़ निकालते हैं। काश हमारे पड़ोसी भी नेता जी होते

सिचाई विभाग के अधिकारियों को नियमों की बजाए नेता जी के आदेशों की ज्यादा चिता है। जून माह में बाढ़ बचाव के काम पूरे करने थे। एसीएस व डीसी ने समय पर काम पूरा करवाने के लिए एरिया का काफी दौरा किया, उसके बाद भी कई काम अधिकारियों ने शुरू तक नहीं करवाए। कुछ दिनों पहले रादौर विधानसभा एरिया में यमुना में आए पानी से नेता जी की जमीन में कटाव हो गया। फसल व पेड़ तक बह गए। फिर क्या था कि अधिकारियों ने संपर्क साधा या नेता जी ने किया। इस बारे में बात हुई। उसके बाद अधिकारियों ने स्पीड़ पकड़ ली। साइट पर पत्थरों के ढेर लगवाए दिए। काम भी बहुत तेजी से शुरू हुआ। एरिया में यह काम स्पीड से हो रहा है। प्रभावित एरिया के किसान कह रहे है कि काश हम भी नेता जी के पड़ोसी होते तो भूमि कटाव से बच जाते। अलग विभाग का मतलब काम रोकना है क्या

यदि अधिकारी विभागों में काम को उलझाकर रखेंगे तो कोई भी काम कैसे होगा। मंत्री, विधायक व मेयर सरकार कार्यों की एनओसी के लिए कितनी बार फोन करेंगे। जनता के काम क्यों लटकाए जाते हैं। कब यह सोच आएगी कि मिलकर शहर का विकास करवाना है। विभाग ही तो अलग है। प्रदेश व शहर तो हम सभी का है। नालों के लिए एनओसी नहीं मिलने पर मेयर ने यह नाराजगी सिचाई विभाग व पब्लिक हेल्थ के अधिकारियों को जताई। सलाह देते हुए कहा कि अधिकारी यदि काम उलझाना छोड़ दें तो शहर की सूरत ही बदल जाएं। लंबे से पश्चिमी यमुना नहर पर गिरने वाले पाइप लाइन को मामला दो विभागों के बीच में उलझा हुआ है। कार्य शुरू होने के बाद भी बीच में लटका हुआ है। सड़क पर पाइपलाइन काफी समय से पड़ी है। लाइन सुचारू होने से यमुना को दूषित होने से बचाया जा सकता है।

प्रस्तुति- पोपीन पंवार।

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