चार साल से अटका मास्टर प्लान 2031

जागरण संवाददाता, यमुनानगर शहर का मास्टर प्लान 2031 अधिकारियों की लापरवाही के चलते चार स

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 12:28 AM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 12:28 AM (IST)
चार साल से अटका मास्टर प्लान 2031
चार साल से अटका मास्टर प्लान 2031

जागरण संवाददाता, यमुनानगर

शहर का मास्टर प्लान 2031 अधिकारियों की लापरवाही के चलते चार से अटका है। इससे नई इंडस्ट्री लाने व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनको सीएलयू (चेंज ऑफ लैंड यूज) के लिए चंड़ीगढ़ दौड़ना पड़ रहा है। जबकि मास्टर प्लान के तहत एक एकड़ जमीन में इंडस्ट्री लगाने वालों को जिला स्तर पर एनओसी देने का प्रावधान है। इस संबंध में जिला प्लानिंग कमेटी नहीं बनने से ये दिक्कत आ रही है। इस बारे में डीसी गिरीश अरोड़ा का कहना है कि 22 फरवरी को इस बारे में बैठक बुलाई गई है, जिसमें कमेटी बनाने पर विचार होगा।

बता दें कि प्रदेश सरकार ने सीएलयू पर नई नीति बनाई थी। इसकी पॉवर डीसी को दी गई थी। प्रदेश में केवल यमुनानगर ही ऐसा जिला है, जहां एक एकड़ में इंडस्ट्री लगाने के लिए स्थानीय स्तर पर एनओसी नहीं मिल रही। व्यापारियों की इस परेशानी को अधिकारी भी जायज ठहरा रहे हैं। निदेशक को किया था अधिकृत

शहरी स्थानीय निकाय के निदेशक को इसके लिए अधिकृत किया गया है। प्रशासनिक और निगम अधिकारियों को सरकार ने इसकी अधिसूचना भेजी थी। म्यूनिसिपल एरिया में आए इंडस्ट्रियल जोन में एक एकड़ में इंडस्ट्री की शर्त लागू होती है। सीएलयू की यह है प्रक्रिया

सीएलयू के लिए पहले डिस्ट्रिक्ट लेवल पर बनने वाली क्लीयरेंस कमेटी (डीएलसीसी) से अप्रूवल लेनी होती है। तब सीएलयू के लिए एनओसी जारी होती है। आवेदन के सात दिन में डीटीपी और अधिकारियों रिपोर्ट करनी होती है। उसके बाद सीएलयू पर मुहर लगती है। ईईसी से लेनी होगी क्लीयरेंस

एक एकड़ में 10 करोड़ से महंगी इंडस्ट्री के लिए अनुमति चंडीगढ़ से मिलनी है। सीएलयू के लिए पहले इम्पॉवर्ड एग्जिक्यूटिव कमेटी (ईईसी) से क्लीयरेंस लेनी होगी। इसके बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक सीएलयू के लिए एनओसी जारी करेंगे। इससे पहले दस दिन के भीतर निगम अधिकारियों के साथ डीटीपी को भी केस पर विस्तार से रिपोर्ट देनी पड़ेगी। तब एनओसी के लिए फाइल शहरी स्थानीय निकाय निदेशक के पास जाएगी। पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की अनुमति अनिवार्य

पॉलिसी के तहत इंडस्ट्रियल जोन में हर तरह का उद्योग लगाने की इजाजत मिलेगी। हालांकि इसके लिए हरियाणा पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से भी क्लीयरेंस लेना जरूरी होगा। एग्रीकल्चर जोन में केवल ग्रीन कैटेगरी के दायरे में आने वाली इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने की ही अनुमति दी जाएगी। इंडस्ट्रियल जोन में उद्योग लगाने के लिए कोई लिमिट नहीं है। एग्रीकल्चर जोन में केवल दो एकड़ में स्माल स्केल इंडस्ट्री लगाने की अनुमति मिलेगी। ग्रीन कैटेगरी के दायरे में आने वाली यूनिट स्थापित करने के लिए कोई लिमिट नहीं रखी है। सीएलयू के बाद आवेदक को कन्वर्जन चार्ज का भुगतान करना होगा। सीएलयू के लिए निगम ऑफिस में पहले पूरी फाइल जमा करवानी होगी। व्यापारियों की नहीं सुन रहा कोई : प्रधान

प्लाइवुड के ऑल इंडिया के प्रधान देवेंद्र चावला का कहना है कि सीएलयू के लिए व्यापारी परेशान हैं। पॉलिसी बनाने के बाद भी मास्टर प्लान को मंजूरी नहीं मिली। जिले में पांच सौ से ज्यादा वुड इंडस्ट्री के लाइसेंस जारी हुए हैं। जब तक व्यापारी को राहत नहीं मिलेगी, तब तक इंडस्ट्री ग्रोथ नहीं कर सकती। इस पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। ये है कमेटी का प्रारूप

डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग कमेटी बनाकर भेज दी गई थी। इसमें नगर निगम और जिला परिषद और अन्य चुने प्रतिनिधि सदस्य होते हैं। कुछ सदस्य प्रशासनिक होते हैं। निगम चुनाव के बाद सदस्य बदल गए। अब फिर से नगर निगम से सदस्यों के नाम भेजे जाएंगे। इसके लिए 22 फरवरी को बैठक रखी है। उसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।

गिरीश अरोड़ा, डीसी।

chat bot
आपका साथी