विद्रोह का बिगुल बजाने वाले मंगल पांडे को किया याद

इंकलाब मंदिर गुमथला राव में बुधवार को क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान दिवस मनाया गया। मंदिर के संस्थापक एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि मंगल पांडे जन्म 30 जनवरी 1831 नगवा गांव बलिया में हुआ था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Apr 2020 06:24 AM (IST) Updated:Thu, 09 Apr 2020 06:24 AM (IST)
विद्रोह का बिगुल बजाने वाले मंगल पांडे को किया याद
विद्रोह का बिगुल बजाने वाले मंगल पांडे को किया याद

संवाद सहयोगी, जठलाना : इंकलाब मंदिर गुमथला राव में बुधवार को क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान दिवस मनाया गया। मंदिर के संस्थापक एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि मंगल पांडे जन्म 30 जनवरी 1831 नगवा गांव बलिया में हुआ था। 29 मार्च 1857 का दिन अंग्रेजों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था। 1857 के विद्रोह का प्रारंभ एक बंदूक की वजह से हुआ था। सिपाहियों को 1853 में एनफील्ड बंदूक दी गई थी। बंदूक की नली में कारतूस को मुंह से काट कर डालना पड़ता था। कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी, जो कि उसे नमी अर्थात पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफवाह फैल चुकी थी कि कारतूस में लगी चर्बी सुअर और गाय के मांस की है। यह हिदू और मुसलमान सिपाहियों दोनों की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध था। मंगल पांडे ने सेना का हुकम मानने से इंकार कर दिया। पलटन के सार्जेंट हडसन स्वयं मंगल पांडे को पकड़ने आगे बढ़ा तो, पांडे ने उसे गोली मार दी। कोर्ट मार्शल चलाकर 6 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को मौत की स•ा सुना दी गई। 8 अप्रैल को उन्हें फांसी दे दी गई।

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