लक्कड़ मंडी में मार्केट फीस घटने का कारण की तलाश : सीए कारण भी पूछेंगे आढ़ती व व्यापारियों से

जिले में दो लक्कड़ मंडी होने के बाद भी सड़क पर लक्कड़ ( पोपुलर व सफेदा) क्यों बिक रही है ? क्यों लगातार मार्केट कमेटी की फीस व जीएसटी घट रही है। यह मनमानी किसी के इशारे पर चली रही है और कब तक चलेगी। इस व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए ताकि सरकार के राजस्व में बढोतरी हो। इन तमाम बिदुओं पर सोमवार को लघु सचिवालय में चर्चा होगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 05:53 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:53 PM (IST)
लक्कड़ मंडी में मार्केट फीस घटने का कारण की तलाश : सीए कारण भी पूछेंगे आढ़ती व व्यापारियों से
लक्कड़ मंडी में मार्केट फीस घटने का कारण की तलाश : सीए कारण भी पूछेंगे आढ़ती व व्यापारियों से

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिले में दो लक्कड़ मंडी होने के बाद भी सड़क पर लक्कड़ ( पोपुलर व सफेदा) क्यों बिक रही है ? क्यों लगातार मार्केट कमेटी की फीस व जीएसटी घट रही है। यह मनमानी किसी के इशारे पर चली रही है और कब तक चलेगी। इस व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए, ताकि सरकार के राजस्व में बढोतरी हो। इन तमाम बिदुओं पर सोमवार को लघु सचिवालय में चर्चा होगी। मार्केट कमेटी के सीए(चीफ एडमिनिस्ट्रेर) विनय यादव आढ़तियों व प्लाईवुड व्यापारियों के साथ इस संबंध में बैठक करेंगे। बता दें कि मार्केट फीस की चोरी रोकने के लिए मार्केट कमेटी ने पांच टीमों का गठन किया हुआ है। पहले अधिकारी चर्चा से व्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं। यदि इससे बात नहीं बनी तो आगे की कार्रवाई पर अमल किया जाएगा। मार्केट कमेटी सचिव गौरव आर्य का कहना है कि आढ़तियों व व्यापारियों के साथ बैठक के अच्छे रिजल्ट आने की उम्मीद है। सीएम के सामने भी उठ चुका है फीस की चोरी का मामला : 21 नवंबर को सीएम मनोहर लाल ने भाजपा पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। इसमें भी सड़क पर लक्कड़ बिकने का मुद्दा उठा था। मार्केट कमेटी की घटती फीस पर उन्होंने नाराजगी जताई थी। यहां पर कह कर गए थे खेतों से कटने वाला पोपुलर व सफेदा सीधे फैक्ट्रियों में नहीं जाएगा। इससे नुकसान हो रहा है। उसके बाद जांच के लिए पांच टीमों का गठन भी किया गया। कच्ची पर्ची पर चलता था पहले लक्कड़ का व्यापार : जिले का नाम प्लाइबोर्ड के काम में विदेशों तक मशहूर है, लेकिन यहां पर लक्कड़ की खरीद मनमाने तरीके से होती थी। इसका कोई रिकार्ड नहीं होता था। कच्ची पर्ची पर धंधा चलता था। किसानों को जे फार्म नहीं मिलता था। जिस कारण किसानों को लक्कड़ से आई पेमेंट दिखाने में दिक्कत आती थी। उनको आयकर विभाग के नोटिस आते थे। भारतीय किसान संघ व भारतीय किसान यूनियन ने मंडी के गठन व रिकार्ड के हिसाब से लक्कड़ बेचने की आवाज उठाई। इसके लिए लंबे समय तक प्रदर्शन किया। किसानों को कुछ राहत मिली। आढ़तियों ने भी लाइसेंस लिए। कुछ आढ़ती तब बिना लाइसेंस के काम कर रहे थे। मंडी बनाने के लिए किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रतन सिंह देवधर व रामबीर चौहान लोकायुक्त की अदालत में चले गए। अदालत के आदेश के बाद वर्ष 2016 में जिले में दो लक्कड़ मंडी बनी। यहां पर कुछ समय काम नियम के हिसाब से चला। मार्केट कमेटी की फीस दो करोड़ से अधिक पर चली गई।कुछ माह से फिर से मनमानी शुरू हो गई। अधिकतर लक्कड़ हाइवे किनारे या फैक्ट्रियों में सीधे जाने लगा। जिससे सरकार का राजस्व घटा और लोगों को जाम की दिक्कत आने लगी। कई दफा लक्कड़ की ट्रालियां से हादसे भी हो चुके हैं। हंगामे भी हो चुके हैं। मार्केट कमेटी विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों पर भी मिलीभगत के आरोप लग चुके हैं। किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह का कहना है कि मार्केट कमेटी की फीस चोरी बंद होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने भी सीएम को पत्र लिखा हुआ है। यह भी जानिए जिले में 350 प्लाईवुड फैक्ट्री,290 पीलिग, 70 चीपर और 550 से अधिक आरा मशीनें हैं। दोनों मंडियों में सवा छह सौ लक्कड़ खरीदने व बचने के लाइसेंसधारक है। जिले में ढाई लाख क्विटल कच्चे माल की खपत है। पहले मंडी से दो करोड़ की फीस आती थी, अब फीस घटकर 40 लाख से भी कम हो गई। लक्कड़ पर दो प्रतिशत मार्केट फीस व 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। मार्केट फीस के साथ सरकार को जीएसटी का भी काफी नुकसान है। क्योंकि जीएसटी मार्केट फीस से नौ गुणा अधिक है। कई दफा व्यापारी मार्केट फीस हटाने की मांग भी कर चुके हैं। इसका विरोध किसान संगठन करते हैं। उनके मुताबिक फीस हटाने पर व्यवस्था बेकाबू हो जाएगी। इस फीस से मार्केट कमेटी की सड़क व अन्य का कार्य होते हैं।

chat bot
आपका साथी