डेंगू में स्वास्थ्य विभाग के डाटा की बाजीगरी

डेंगू के बढ़ते मामलों ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। लोग प्राइवेट अस्पतालों में लूटने को मजबूर हैं परंतु स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट अस्पतालों पर पूरा मेहरबान है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इनके आगे बेबस नजर आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 06:57 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 06:57 PM (IST)
डेंगू में स्वास्थ्य विभाग के डाटा की बाजीगरी
डेंगू में स्वास्थ्य विभाग के डाटा की बाजीगरी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

डेंगू के बढ़ते मामलों ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। लोग प्राइवेट अस्पतालों में लूटने को मजबूर हैं, परंतु स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट अस्पतालों पर पूरा मेहरबान है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इनके आगे बेबस नजर आ रहे हैं। प्राइवेट अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को यह तक नहीं बता रहे कि उनके यहां डेंगू या इसके लक्षण वाले कितने मरीज दाखिल हैं। जब सूचना ही नहीं देंगे तो रिकार्ड सौंपना तो बहुत दूर की बात है। प्लेटलेट्स घटने, तेज बुखार, जोड़ों में दर्द जैसे लक्षणों के चलते कई मरीजों की प्राइवेट अस्पतालों में मौत हो चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि एक भी मौत डेंगू से हुई है। हर मौत पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तर्क होता है कि प्राइवेट अस्पताल से उनके पास डेंगू को लेकर कोई मैसेज नहीं आया। किसी ने सूचना क्यों नहीं दी या सूचना न देने वाले एक भी अस्पताल पर सिविल सर्जन या प्रशासन ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। इसका जवाब कोई देना अधिकारी मुनासिब नहीं समझते। प्राइवेट अस्पतालों में बेड तक नहीं :

शहर के दर्जनभर अस्पताल ऐसे हैं जिन पर लोगों का विश्वास ज्यादा है। लोगों को उम्मीद है कि वहां डेंगू या वायरल के मरीज को दाखिल करेंगे तो वह ठीक हो जाएगा। इन अस्पतालों में मरीजों को दाखिल करने के लिए बैड तक नहीं है। अस्पताल में एंट्री करते ही ओपीडी के बाहर मरीजों व तीमारदारों का धक्का लगा मिलता है। ओपीडी में पहली बार आने पर मरीज को दवाई दे दी जाती है। आराम नहीं लगने पर अगली बार जांच कराने पहुंचे 90 प्रतिशत मरीजों को डाक्टर पहले टेस्ट कराने को कह रहे हैं। वैसे तो स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू टेस्ट की फीस निर्धारित कर रखी है परंतु कोई इसे नहीं मानता। मरीजों से टेस्ट के नाम पर मनचाही रकम वसूली जा रही है। हर अस्पताल में ऐसे मरीज मिल जाएंगे जिनसे ज्यादा रुपये लिए गए। परंतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास इतना भी वक्त नहीं है कि वह किसी अस्पताल में जाकर औचक निरीक्षण कर इन मनमानी पर अंकुश लगा सकें। दिनोंदिन बढ़ रहा डेंगू का आंकड़ा :

सरकारी रिकार्ड में अब तक डेंगू के 234 मरीज मिल चुके हैं, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में इन मरीजों की संख्या कहीं अधिक है। पिछले कुछ सालों में अब तक डेंगू के इतने मरीज नहीं मिले। हर बार तो मानसून के सीजन में लोगों को मच्छरों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मच्छरदानी मुफ्त में दी जाती थी, परंतु इस बार ऐसा नहीं हुआ। कीवी फल, नारियल पानी की डिमांड बढ़ी :

डेंगू के कारण बाजार में कीवी फल व नारियल पानी की डिमांड काफी बढ़ गई है। बाजार में दो तरह के कीवी फल मिल रहे हैं। इनमें एक न्यूजीलैंड की है जिसमें चार पीस 150 रुपये के हैं। जबकि दूसरी उत्तराखंड की बताई जा रही है जिसके चार पीसी 120 रुपये के हैं। इसी तरह शहर में ही 40 से अधिक जगहों पर नारियल पानी बेचा जा रहा है। एक नारियल 60 रुपये का बिक रहा है। वहीं बकरी का दूध डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए लाभकारी माना जाता है। इसलिए बकरी का दूध खरीदने के लिए लोग शहर से गांवों की तरफ जा रहे हैं। बकरी का दूध 800 से 1000 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इस बार घातक रहा डेंगू, पांच साल का टूटा रिकार्ड :

-4 लाख 90 हजार 832 घरों का हुआ सर्वे

-6410 घरों में मिला डेंगू का लार्वा

-504 तालाबों में छोड़ी गई गंबूजिया मछली

-26 शहरी क्षेत्र के तालाबों में छोड़ी गई मछलियां

-478 ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों में छोड़ी गई मछलियां

-3675 सैंपल लिए जा चुके हैं अभी तक

-142 मरीज सबसे अधिक अक्टूबर माह में मिले यह स्थिति मलेरिया व डेंगू की :

वर्ष - डेंगू - मलेरिया

2016 -508 - 65

2017 -266 - 70

2018 -97 - 42

2019 - 21 - 51

2020 - 03 - 42

2021 - 04 - 234 हर माह अनुसार डेंगू के मरीज :

माह - सैंपल - मरीज

जुलाई - 5 - 0

अगस्त - 30 -0

सितंबर - 363 -30

अक्टूबर - 2200 -142

नवंबर - 1077 - 62 अभी तक

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