46 जवानों को बचाने वाले शहीद के परिवार की स्मारक के लिए जंग

रॉकी ऊधमपुर में हुआ था शहीद परिजन बोले हताश हुए हैं लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 07:22 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 02:01 AM (IST)
46 जवानों को बचाने वाले शहीद के परिवार की स्मारक के लिए जंग
46 जवानों को बचाने वाले शहीद के परिवार की स्मारक के लिए जंग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

साढ़े तीन साल पहले जम्मू के ऊधमपुर में बीएसएफ के 46 जवानों की जान बचाते हुए शहीद हुए रॉकी का परिवार उनके स्मारक और गेट निर्माण के लिए नेताओं के चक्कर काट रहा है। यहां से वहां भागदौड़ कर परिवार हताश जरूर हो गया है, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी है। पीडब्ल्यूडी स्मारक और गेट बनाने से अपने हाथ खड़े कर चुका है तो पंचायती राज ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। शहीद रॉकी का भाई रोहित गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने चंडीगढ़ में सीएम हाउस पहुंचे, जहां पर उन्होंने स्मारक और गेट बनवाने की मांग की। दफ्तरों में ही घूम रही स्मारक की फाइल

बिलासपुर के गांव रामगढ़ माजरा निवासी शहीद रॉकी के स्मारक की फाइल साढ़े तीन साल से एक से दूसरे कार्यालय में घूम रही है, परंतु निर्णय किसी ने कुछ नहीं लिया। पंचायती राज ने स्मारक और गेट निर्माण के लिए 34 लाख 50 हजार का बजट बनाया था। इसके लिए 2016 में पंचायती राज के अधिकारियों ने डायरेक्टर को पत्र लिखा था, लेकिन एक साल तक फाइल वहीं फंसी रही। वहां से फाइल पीडब्ल्यूडी के पास गई तो इसके एसीएस ने ये कहकर फाइल को लौटा दी कि उनका विभाग इसे डील नहीं करता। यह स्मारक पंचायती राज विभाग ही बनाएगा। धरने पर बैठना चाहता था शहीद का परिवार

स्मारक और गेट का निर्माण नहीं होने पर शहीद रॉकी का पूरा परिवार सचिवालय में डीसी कार्यालय के सामने धरने पर बैठने का मन बना चुका था। उस वक्त गांव के मौजिज लोगों के कहने पर धरना स्थगित कर दिया गया था। रॉकी के पिता प्रीतपाल का कहना है कि सरकार उसके बेटे की शहादत को न केवल भूल गई है, बल्कि अपमान भी कर रही है। बेटे के शहीद होने के वक्त मुख्यमंत्री से लेकर हर मंत्री ने तब बातें तो बड़ी-बड़ी की थी लेकिन अभी तक स्मारक और गेट का निर्माण नहीं कराया। सीएम से मिलने गया था : रोहित

रॉकी के बड़े भाई रोहित ने बताया कि वह गुरुवार को सीएम से मिलने था। वहां पर सीएम के ओएसडी से बात हुई। इनसे स्मारक और गेट का निर्माण करने के बारे में बातचीत हुई। उन्होंने आश्वासन दिया है कि स्मारक का निर्माण जल्द कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे स्मारक की फाइल एक से दूसरे कार्यालय में दबाई जा रही है। ये था मामला

पांच अगस्त 2015 को जब बीएसएफ जवान रॉकी बस में जवानों को छोड़ने कैंप में जा रहा था। इसी दौरान आतंकवादियों ने उनकी बस पर हमला कर दिया था। तब बस में केवल रॉकी के पास ही राइफल थी। रॉकी ने बहादुरी का परिचय देते हुए आतंकवादियों का सामना किया। जब एक आतंकी बस पर हैंड ग्रेनेड फेंकने लगा तो रॉकी ने उसे समय रहते गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया था। जबकि दूसरा आतंकी भाग गया था। इसी गोलाबारी में रॉकी भी गोली लगने से शहीद हो गया था। दो दिन बाद उनके पैतृक गांव रामगढ़ माजरा में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। तब मुख्यमंत्री ने रॉकी के परिवार को आर्थिक सहायता, एक सदस्य को नौकरी, स्मारक और गेट निर्माण की बात कही थी।

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