रेमडेसिविर के नाम पर हो रही ठगी, 64 हजार रुपये लेकर थमा दिए नकली इंजेक्शन

रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर भी लोगों को लूटा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:10 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 07:10 AM (IST)
रेमडेसिविर के नाम पर हो रही ठगी, 64 हजार रुपये लेकर थमा दिए नकली इंजेक्शन
रेमडेसिविर के नाम पर हो रही ठगी, 64 हजार रुपये लेकर थमा दिए नकली इंजेक्शन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर

रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर भी लोगों को लूटा जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है कि निजी अस्पताल में दाखिल मरीज की हालत बिगड़ने लगी। डाक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए कहा। किसी तरह से स्वजनों ने इंजेक्शन मंगवाया, लेकिन वह भी नकली थमा दिया गया। आखिरकार महिला मरीज की मौत हो गई।

सेक्टर 17 के अभिषेक शर्मा समाजसेवी संस्था चलाते हैं। उन्होंने बताया कि रात करीब दो बजे उनके पास निजी अस्पताल से मरीज के तीमारदार का कॉल आया था। निजी अस्पताल में 47 साल की कोरोना संक्रमित महिला दाखिल थी। उसके लिए डाक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए तीमारदारों को कहा था। इसलिए ही उनका कॉल आया। उन्हें समझाया गया कि दिन में सिविल सर्जन से बात कर व्यवस्था करा देंगे, लेकिन महिला की हालत बिगड़ रही थी। जिस पर मरीज के तीमारदार कही से दो रेमडेसिविर 32-32 हजार रुपये में लेकर आए। जब वह डाक्टर को दिए, तो पता लगा कि यह नकली इंजेक्शन हैं। डाक्टरों से बात की, तो उन्होंने चंडीगढ़ से इंजेक्शन मंगवाने के लिए कहा, लेकिन वीरवार की रात करीब दो बजे महिला की मौत हो गई।

संबंधित अस्पताल को करनी होती है व्यवस्था :

सरकार ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला स्तर पर सिविल सर्जन की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है। यदि किसी मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है, तो डाक्टर की लिखी पर्ची व आधार कार्ड जरूरी होगा। इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से इंजेक्शन दिया जाएगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि संबंधित अस्पताल को ही इंजेक्शन दिए जाएं। इसके बावजूद मरीजों के स्वजनों को निजी अस्पताल संचालक परेशान कर रहे हैं। उनको ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर आने का दबाव बनाया जा रहा है।

ससुर का ऑक्सीजन दिया मरीज को :

जगाधरी निवासी राजीव ने बताया कि उनके ससुर को कोरोना संक्रमण हुआ है। इस समय सिविल अस्पताल में दाखिल है। शुक्रवार की सुबह वह भी अस्पताल में गए थे। इस दौरान एक अन्य मरीज की हालत बिगड़ रही थी। ससुर का ऑक्सीजन लेवल 80 पर था। इसलिए उस मरीज को वह सिलेंडर दिया गया। जिससे उसकी जान बच गई। इससे पहले ही दो मरीजों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई थी। अन्य मरीजों की भी हालत खराब हो रही थी। वहां पर उन्हें देखने वाला न तो कोई स्टाफ था और न ही डाक्टर।

कोट्स :

सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने बताया कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए कमेटी गठित की गई है। हर रोज 40 इंजेक्शन भी दिए जा रहे हैं। मरीज को यदि इस इंजेक्शन की जरूरत है, तो संबंधित अस्पताल ही विभाग के पास सूचना देकर मंगवा सकता है।

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