महर्षि वाल्मीकि के दिखाए मार्ग पर चलें : दिनेश चंद्र

महर्षि वाल्मीकि के प्रकट दिवस पर वाल्मीकि सभा व समस्त कस्बावासियों के सहयोग से महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति का अनावरण यज्ञ व भंडारे का आयोजन धूमधाम से किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 07:00 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 10:19 PM (IST)
महर्षि वाल्मीकि के दिखाए मार्ग पर चलें : दिनेश चंद्र
महर्षि वाल्मीकि के दिखाए मार्ग पर चलें : दिनेश चंद्र

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : महर्षि वाल्मीकि के प्रकट दिवस पर वाल्मीकि सभा व समस्त कस्बावासियों के सहयोग से महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति का अनावरण, यज्ञ व भंडारे का आयोजन धूमधाम से किया गया।

कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले भगवान वाल्मीकि की पूजा अर्चना कर यज्ञ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान विकास बाबू ने की। कार्यक्रम में मुख्यातिथि विश्व हिदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र मौजूद रहे। मुख्यातिथि ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के जीवन चरित्र से सीख लेकर उनके बताए मार्ग व विचारों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। महर्षि ने रामायण की रचना कर भगवान श्रीराम का परिचय समाज से करवाने में अहम भूमिका निभाई। भगवान राम के दोनों पुत्र लव और कुश की शिक्षा दीक्षा महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुई। आज भारत भूमि पर महान कार्य करने वाला वाल्मीकि समाज ही है जो सदियों से स्वच्छता अभियान को अपनाए हुए निष्ठा भाव से अपने कार्य में निरंतर लगा हुआ है। समाज अनेकों प्रकार से संकट झेलते हुए भी कभी अपने सेवाभाव के कार्य से भटका नहीं है। मौके पर विश्व हिदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री प्रेम शंकर ,विकास विश्नोई, शैलेश ,देवेंद्र ,पम्मी ,नरेंद्र सिंह बिल्लू,अमन कुमार,अभिषेक,कंवर पाल उपस्थित थे। यज्ञ कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की गई

संवाद सहयोगी, बिलासपुर :

गांव रामेखडी के वाल्मीकि मंदिर में वाल्मिकी सभा के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सबसे पहले झंडे की रस्म अदा की गई। यज्ञ कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील सोढी ने की। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में भाजपा युवा मंडल मोर्चा के महासचिव नरेंद्र सिंह बिल्लू मौजूद रहे। बिल्लू ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने प्रथम श्लोक की खोज की। महर्षि वाल्मीकि भारत के प्राचीन काल के महानतम कवियों में से एक थे। सतयुग के एक महान ऋषि थे। वो देश के सबसे पहले कवि है। उन्होंने अपने पहले छंद का आविष्कार गंगा नदी के तट पर किया था। मौके पर मोनू सैनी, चंद्रभान, सुनील, प्रदीप, रमेश ,राजू चंद्रमोहन कटारिया,जनक राज,,आरजू, रेनू कश्यप उपस्थित थे।

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