बारिश से किसानों की मेहनत जमीन पर, नहीं मिल रहा मुआवजा

खंड में बारिश से खराब हुई धान का फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा राशि नहीं मिल रही।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 06:11 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 06:11 AM (IST)
बारिश से किसानों की मेहनत जमीन पर, नहीं मिल रहा मुआवजा
बारिश से किसानों की मेहनत जमीन पर, नहीं मिल रहा मुआवजा

संवाद सहयोगी, बिलासपुर: खंड में बारिश से खराब हुई धान का फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा राशि नहीं मिलने से किसानों में रोष बढ़ रहा है। किसानों का कहना है कि फसल बुआई के समय सरकार व बीमा कंपनी के कर्मचारी कई प्रकार के वायदे कर गए थे, लेकिन अब बारिश से धान की फसल खराब होने पर बीमा कंपनी व अधिकारियों ने यह कहकर राशि देने से मना कर दिया कि पानी के बहाव में खराब हुई फसल को पॉलिसी में शामिल नहीं है। प्रभावित किसानों ने सरकार से बारिश में खराब हुई धान की फसलों की विशेष गिरदावरी कर उचित मुआवजे की मांग की है।

गांव हैबतपुर के गुरचरण सिंह, अजैब सिंह, मुकेश कुमार, दलजिद्र कुमार, पवन कुमार जोगिद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ग्रामीणाों ने प्रति हेक्टेयर 1680 रुपये की राशि का फसल बीमा करवाया था। जिसमें प्रति एकड़ के नुकसान के हिसाब से मुआवजा दिया जाना था, चार दिन पूर्व हुई मूसलाधार बारिश व तेज हवाओं ने सैकडों एकड़ धान की तैयार फसल को नीचे गिर गई। जिस कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। कटाई का भी बढ़ेगा खर्च

बारिश के कारण गिरी फसल को काटते समय अतिरिक्त लागत देनी पड़ेगी और पैदावार पर भी असर पडे़गा। इसका नुकसान किसानों को होगा। बारिश से गिरी धान की फसल के नुकसान का मुआवजा बीमा योजना के तहत लेने के लिए कृषि विभाग व बीमा कंपनी के अधिकारियों से मिले, लेकिन दोनों ही कार्यालयों से उन्हें बीमा योजना के तहत मुआवजा देने से मना कर दिया। गाइडलाइन के अनुसार काम किया जा रहा है: एएसओ

कृषि विभाग की एएसओ उषा कांबोज ने बताया कि सरकार की ओर से जारी निर्देश के अनुसार फसल कटाई से पंद्रह दिन पहले फसल नुकसान का बीमा में शामिल नहीं किया जाएगा। मुआवजे का आनलाइन पोर्टल बीस सितंबर को बंद हो गया था। पानी से खराब हुई फसल पॉलिसी में शामिल नहीं: संजीव

बीमा कंपनी के अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि कंपनी प्रदेश सरकार के अनुसार जारी गाइडलाइन के अनुसार काम कर रही है पानी से खराब हुई फसल को बीमा पॉलिसी की नीति में शामिल नहीं किया जा सकता है।

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