फसल अवशेषों को जलाएं नहीं, प्रबंधन करें किसान : कंवरपाल
कृषि वैज्ञानिकों से कृषि संबंधी नई तकनीकों जानकारी लेकर किसान कृषि में बदलाव लाएं। फसल अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि उनका प्रबंधन करें। यह बात शिक्षा वन एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल ने मृदा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि कहे। उन्होंने कहा कि कृषि लागत लगातार बढ़ती जा रही है।
संवाद सहयोगी, प्रतापनगर/छछरौली :
कृषि वैज्ञानिकों से कृषि संबंधी नई तकनीकों जानकारी लेकर किसान कृषि में बदलाव लाएं। फसल अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि उनका प्रबंधन करें। यह बात शिक्षा, वन एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल ने मृदा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि कहे। उन्होंने कहा कि कृषि लागत लगातार बढ़ती जा रही है। इसलिए जरूरी है कि किसान खेती की तकनीक में बदलाव लाकर अपनी आय बढ़ाएं। हालांकि पैदावार बढ़ी है लेकिन कृषि लागत भी लगातार बढ़ती जा रही है। भूमि की उपजाऊ शक्ति लगातार घटती जा रही है। फसल अवशेष जलाने से धरती बंजर हो रही है। खाद व दवाइयों का अत्यधिक इस्तेमाल भूमि की उपजाऊ शक्ति को लगातार प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल का बीमा अवश्य कराएं। किसानों द्वारा 900 करोड़ रुपये का बीमा कराया गया। जबकि कंपनियों ने किसानों को 2900 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में दिए हैं। इसके अलावा मिट्टी की जांच जरूर कराएं। नई कृषि व फसल चक्र को अपनाएं। प्रदेश सरकार ने सबसे अधिक फसलों की एमएसपी पर खरीद की जा रही है। किसानों का एक हजार करोड़ रुपये का ब्याज माफ किया गया है। 24 घंटे बिजली दी जा रही है। कृषि वैज्ञानिक एनके गोयल ने कहा कि यूरिया के अधिक इस्तेमाल से फसलों में बीमारियां बढ़ रही हैं। इसलिए मिट्टी का परीक्षण दो साल में अवश्य कराएं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. जसविद्र सैनी ने कहा कि सल्फर, जिप्सम, पोटाश, जिक आदि का इस्तेमाल करें। जिससे रसायनिक खादों का संतुलन बना रहे। इस मौके पर किसानों के लिए प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। सही उत्तर देने वाले 10 किसानों को सम्मानित किया गया। मौके पर कृषि उपमंडल अधिकारी डा. सतबीर लोहिया, क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर डा. बाल मुकुंद कौशिक, नायब तहसीलदार तुलसीदास, डा. नंदकिशोर सारस्वत, अश्वनी सिगला, कैलाश शर्मा व अन्य उपस्थित थे।