बिना सुरक्षा के रातभर मेले में रहे श्रद्धालु, प्रशासनिक खंड व सूचना प्रसारण केंद्र भी मिला बंद

कपालमोचन मेला संपन्न होने के बाद शनिवार को अधिकारियों व कर्मचारियों को रिलीव किया जाना था परंतु वहां कोई नहीं था। मेले में एक भी अधिकारी व कर्मचारी खोजने से भी नहीं दिखा। शुक्रवार रात नौ बजे के बाद दैनिक जागरण टीम कपालमोचन मेला में पहुंची तो रात के अंधेरे में सुरक्षा के नाम पर एक पुलिसकर्मी तक नहीं था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 11:28 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 11:28 PM (IST)
बिना सुरक्षा के रातभर मेले में रहे श्रद्धालु, प्रशासनिक खंड व सूचना प्रसारण केंद्र भी मिला बंद
बिना सुरक्षा के रातभर मेले में रहे श्रद्धालु, प्रशासनिक खंड व सूचना प्रसारण केंद्र भी मिला बंद

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कपालमोचन मेला संपन्न होने के बाद शनिवार को अधिकारियों व कर्मचारियों को रिलीव किया जाना था परंतु वहां कोई नहीं था। मेले में एक भी अधिकारी व कर्मचारी खोजने से भी नहीं दिखा। शुक्रवार रात नौ बजे के बाद दैनिक जागरण टीम कपालमोचन मेला में पहुंची तो रात के अंधेरे में सुरक्षा के नाम पर एक पुलिसकर्मी तक नहीं था। लोग अंधेरे में सामान खरीद रहे थे। कुछ हिस्सों में बिजली गुल थी। यहां तक की प्रशासनिक खंड भी रात को बंद पड़ा था। अंदर कुर्सी पर न अधिकारी था और न ही कर्मचारी। गुमशुदा लोगों को मिलवाने के लिए बनाए गए सूचना एवं प्रसारण केंद्र के माइक से एक आवाज तक नहीं आ रही थी। यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था। रात को मेले में प्रशासनिक खंड के पास केवल दवा देने के लिए कैंप व सरोवरों पर गोताखोर ही नजर आए। 20 नवंबर तक थी अधिकारियों की ड्यूटी :

इसमें कोई शक नहीं कि इस बार कपालमोचन मेले का आयोजन करने के लिए अधिकारियों को बहुत कम समय मिला। कम समय में अच्छा काम किया गया। ऐसे में थकावट होना लाजमी है। मेला संपन्न होने के एक दिन बाद भी श्रद्धालु मेले में आते हैं। इसलिए डीसी पार्थ गुप्ता ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी 20 नवंबर तक लगाई थी। बकायदा यह तक कहा गया था कि जब तक उन्हें रिलीव नहीं किया जाता तब तक वह अपनी ड्यूटी की जगह को छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगे। परंतु हुआ उल्टा। शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जाने के कुछ देर बाद ही कर्मचारी व अधिकारी धीरे-धीरे मेला परिसर से वापस लौटने लगे। जिस कारण शाम तक एक भी अधिकारी या कर्मचारी मेला में दिखाई नहीं दिया। पुलिस के न होने का फायदा शरारती तत्वों ने उठाया। जिस तरफ झूले लगे थे वहां पर कई बार युवकों की एक दूसरे से बहस व मारपीट हुई। ड्यूटी से गैर हाजिर रहने वालों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह भी देखने लायक होगा। चारों तरफ फैली दिखी गंदगी :

श्रद्धालु तो अपने घर को लौट गए। परंतु मेले में गंदगी का अंबार छोड़ गए। सड़कों व मेला क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आए। सड़कों पर पालीथिन बिखरी रही। मेला में लगी दुकानों पर शनिवार दोपहर तक तो अच्छी भीड़ देखने को मिली। इसके बाद धीरे-धीरे सन्नाटा पसरने लगा। अब गेहूं की बिजाई में जुटेंगे किसान :

मेला के आयोजन के लिए प्रशासन ने आसपास के किसानों से करीब 117 एकड़ जमीन मेला संपन्न होने तक अधिग्रहण की थी। काफी किसानों ने तो खेतों में गेहूं की बिजाई कर ली थी। मेला में आए लाखों श्रद्धालु अब वापस लौट चुके हैं जिससे खेत भी खाली हो चुके हैं। ऐसे में अब किसान खेतों में गेहूं व अन्य फसलों की बिजाई करने में जुट गए हैं। शनिवार को ही खेतों में किसानों ने ट्रैक्टर चलाना शुरू कर दिया। गेहूं की बिजाई करने के लिए किसानों के पास अभी दिसंबर के पहले सप्ताह तक का समय है।

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