स्वयंभू शिवलिग के पूजन के लिए पहुंचते दूर-दराज से श्रद्धालु

प्राचीन शिव मंदिर अंधेरिया बाग रादौर में स्थापित स्वयंभू शिवलिग व मंदिर की प्राचीनता को लेकर दूर-दर तक विख्यात है। श्रावण मास ही नहीं बल्कि हर दिन यहां श्रद्धालु शिवलिग के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। अकसर शिवपुराण व भागवत कथा का भी यहां आयोजन मंदिर कमेटी व श्रद्धालुओं के सहयोग से किया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 07:35 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 07:35 AM (IST)
स्वयंभू शिवलिग के पूजन के लिए पहुंचते दूर-दराज से श्रद्धालु
स्वयंभू शिवलिग के पूजन के लिए पहुंचते दूर-दराज से श्रद्धालु

प्राचीन शिव मंदिर अंधेरिया बाग रादौर में स्थापित स्वयंभू शिवलिग व मंदिर की प्राचीनता को लेकर दूर-दर तक विख्यात है। श्रावण मास ही नहीं बल्कि हर दिन यहां श्रद्धालु शिवलिग के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। अकसर शिवपुराण व भागवत कथा का भी यहां आयोजन मंदिर कमेटी व श्रद्धालुओं के सहयोग से किया जाता है। मान्यता है कि लगातार 41 दिनों तक शुद्ध भाव से बिना किसी बाधा शिवलिग पर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि शिवरात्रि के दिन भी यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और माथा टेककर मन्नतें मांगते हैं। इतिहास

महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन ने श्रीकृष्ण के साथ यहां की थी भगवान शिव की आराधना महंत यमुनागिरी शास्त्री ने बताया कि यहां स्थापित शिवलिग स्वयंभू है। यह कितने वर्ष पुराना है इसके बारे किसी को कुछ ज्ञात नहीं है। लेकिन यह माना जाता है कि महाभारत युद्ध के आरंभ से पहले यहां भगवान शिव के रूद्ररूप की आराधना की थी। जिससे अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि यहां स्थापित शिवलिग दशकों पुराना है। वर्षों पहले यहां नाथ संप्रदाय के एक महात्मा यहां आएं थे। उस समय यहां घना जंगल हुआ करता था। जिसमें सूर्य की किरणें तक प्रवेश नहीं कर पाती थी। उन्हें ही यहां स्थापित शिवलिग के दर्शन हुए और उन्होंने यहीं पर पूजा अर्चना करनी शुरू कर दी थी। इसलिए इसका नाम प्राचीन शिव मंदिर अंधेरिया बाग पड़ा। शिवलिग जहां स्थापित था आज भी वर्षो से यहीं पर स्थापित है। केवल 1995 में मंदिर का एक बार जीर्णोद्धार करवाया गया था। उसके बाद मंदिर की सुंदरता के लिए कार्य किया गया और आज यहां एक सुंदर व वैभवशाली मंदिर है। विशेषता

मंदिर में प्राचीन शिव धुना भी है। जहां मंदिर के महंत व अन्य क्षेत्रों से आने वाले महात्मा अक्सर यहां पूजा आराधना करने के लिए पहुंचते है। मंदिर में शिवलिग के पास शिव परिवार की मूर्तियां व नंदी जी की मूर्ति भी स्थापित है। लेकिन बाहर मां भगवती, राम दरबार, हनुमान जी व मंदिर के समझ बड़े आकार में नंदी जी की मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर में समय समय पर विशाल भंडारे का आयोजन भी होता है।

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