छापामारी के बावजूद बंद नहीं हो रहा पुराने से नया गुड़ बनाने का धंधा, लोगों की सेहत से खिलवाड़

सीएम फ्लाइंग की छापामारी के बाद भी जिले में पुराने गुड़ में चीनी व केमिकल बनाकर इससे नया गुड़ बनाने का धंधा बंद नहीं हुआ है। रातभर क्रेशरों में पुराने गुड़ को नया बनाने में जी जान से जुटे हैं। परंतु अधिकारी हैं कि किसी भी क्रेशर संचालक पर हाथ डालने से बच रहे हैं। जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य व जान से खिलवाड़ करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 06:00 AM (IST)
छापामारी के बावजूद बंद नहीं हो रहा पुराने से नया गुड़ बनाने का धंधा, लोगों की सेहत से खिलवाड़
छापामारी के बावजूद बंद नहीं हो रहा पुराने से नया गुड़ बनाने का धंधा, लोगों की सेहत से खिलवाड़

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सीएम फ्लाइंग की छापामारी के बाद भी जिले में पुराने गुड़ में चीनी व केमिकल बनाकर इससे नया गुड़ बनाने का धंधा बंद नहीं हुआ है। रातभर क्रेशरों में पुराने गुड़ को नया बनाने में जी जान से जुटे हैं। परंतु अधिकारी हैं कि किसी भी क्रेशर संचालक पर हाथ डालने से बच रहे हैं। जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य व जान से खिलवाड़ करने वालों के हौसले बुलंद हैं। फिर ऐसे गुड़ को खाकर भले ही किसी व्यक्ति की तबीयत ही क्यों न बिगड़ जाए।

रात को ही सप्लाई कर दिया जाता है गुड़

पुराने गुड़ से तैयार किया गया गुड़ किसी की पकड़ में न आए इसके लिए मुस्तैदी से काम किया जाता है। रातभर मजदूर जो गुड़ तैयार करते हैं उसे सुबह होने से पहले ही पेटियों में भर कर गंतव्य को रवाना कर दिया जाता है। दिन में क्रेशर को ऐसा कर दिया जाता है जैसे वहां कुछ हुआ ही न हो। क्योंकि अधिकारियों को रात को आना नहीं है और सुबह कुछ मिलता नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि मिलावटी गुड़ बनाने वाले प्रशासन से ज्यादा चुस्त व तेज हैं।

मिलावटी गुड़ में कई केमिकल का मिश्रण

गुड़ में सोडा और केमिकल मिला देने के कारण उसका रंग थोड़ा सा बदल जाता है। गुड़ थोड़ा सफेद या थोड़ा पीला हो तो आपको समझ जाना चाहिए कि उसमें केमिकल की मिलावट की गई है। जबकि असली गुड़ का रंग भूरा होता है। इन केमिकल मिलावटों में कैल्शियम कार्बोनेट और सोडियम बाई कार्बोनेट होते हैं। कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग गुड़ का भार बढ़ाने के लिए किया जाता है जबकि दूसरे का प्रयोग उसकी अच्छी फिनिशिग और पालिश लुक देने के लिए किया जाता है। बिलासपुर क्षेत्र जहां सबसे ज्यादा गन्ना क्रशर व चरखियां हैं वहां तो मिलावटी गुड़ बनाने का काम जोरों पर चल रहा है।

अब तक नहीं आई गुड़ की रिपोर्ट

24 अगस्त का प्रशासन ने बिलासपुर में साढौरा मार्ग, चंदाखेड़ी मार्ग, कपालमोचन मार्ग, छछरौली मार्ग, मछरौली मार्ग, जगाधरी मार्ग पर चल रहे आधा दर्जन से अधिक गन्ना क्रेशरों पर छापेमारी की थी। सीजन न होने के बावजूद भी क्षेत्र में गुड़ बनाया जा रहा था। आगामी आदेशों तक उनके गुड़ बनाने के काम पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी। क्रेशर चालकों से लिखित में दिया था कि वह प्रशासनिक अनुमति के बिना गुड़ नहीं बनाएंगे। उस दौरान वहां से कुछ सैंपल भी लिए गए थे। परंतु अभी तक सैंपल की रिपोर्ट चंडीगढ़ से नहीं आई है।

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