कोरोना की चपेट में आई नर्स ममता, होम आइसोलेशन में भी फोन के माध्यम से करती रही काम
कोरोना महामारी से जंग में चिकित्सकों के साथ नर्सों का भी बराबर का योग है।
रविद्र सैनी, रादौर
कोरोना महामारी से जंग में चिकित्सकों के साथ नर्सों का भी बराबर का योगदान है। मरीजों के सीधे संपर्क में नर्से ही आती है। इस कोरोना महामारी में उनकी जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है। उप स्वास्थ्य केंद्र घिलौर में तैनात नर्स ममता सैनी पॉजिटिव हो चुकी हैं। होम आइसोलेशन में रही। होम आइसोलेशन से ही वह ड्यूटी पर डटी रहीं। फोन पर सभी कार्य संभाला और विभाग को रिपोर्ट करती रही। ममता के पति राजेश कुमार हेड कांस्टेबल हैं।
ममता सैनी का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से ही ड्यूटी का समय बढ़ गया है। घिलौर काफी बड़ा गांव है। यहां से काफी लोग विदेशों में भी हैं। जब कोरोना महामारी फैली, तो बाहर से भी लोग यहां पर आए। उन पर भी नियमित निगरानी रखी। पूरा रिकार्ड जुटाया। इसके साथ ही ग्रामीणों को भी कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक किया। मार्च माह के बाद दूसरी लहर बेहद तेजी से चली। इसमें वह भी चपेट में आ गई। साधारण लक्षण थे। इसलिए होम आइसोलेशन में रहीं। होम आइसोलेशन में भी फोन के माध्यम से विभाग के संपर्क में रही। जो भी रिपोर्ट होती थी। वह फोन ही तैयार करती थी। अब ठीक होने के बाद फिर से काम पर लौट आई।
परिवार का भी बचाव रखना जरूरी
ममता के पास तीन वर्ष का बेटा उद्भव और 12 वर्षीय बेटी कीरत है। कोरोना महामारी में बच्चों की चिता भी रहती थी, क्योंकि पति भी ड्यूटी पर जाते थे। इसलिए बच्चों को नियमों के बारे में बताया। घर में पूरा तरीका बदल गया। घर को सैनिटाइज करना और हाथों को अच्छी तरह से साफ करना। यह नियम बना लिया है। ड्यूटी के दौरान लोगों से संपर्क अधिक रहता है। इसलिए जब भी ड्यूटी से घर लौटती, तो खुद को सैनिटाइज करती। इसके बाद ही परिवार के सदस्यों से मिलती थी। डाइट में भी बदलाव किया हुआ है।