कोरोना का झटका, सरकार को हर सप्ताह 15 लाख का फटका
प्लाइवुड इकाइयों में डिमांड न होने कारण लकड़ी की खपत टूट गई है। मंडियों में हर दिन पहुंचने वाली 400-500 ट्रालियां की संख्या सिमटकर 10-20 रह गई। इससे न केवल आढ़ती व उत्पादक किसान सकते में है बल्कि सरकार को भी हर सप्ताह 15 लाख से अधिक के राजस्व का घाटा हो रहा है। लकड़ी पर लगने वाली दो फीसद मार्केट फीस सरकार के पास नहीं जा रही है। बता दें कि दोनों मंडियों में न केवल प्रदेश के विभिन्न जिलों बल्कि उप्र हिमाचल व पंजाब से भी लकड़ी पहुंचती है। 500 से अधिक आढ़ती हैं और हजारों लोग कारोबार से जुड़े हैं। ये लोग भी इन दिनों बेरोजगार हैं।
संजीव कांबोज, यमुनानगर : प्लाइवुड इकाइयों में डिमांड न होने कारण लकड़ी की खपत टूट गई है। मंडियों में हर दिन पहुंचने वाली 400-500 ट्रालियां की संख्या सिमटकर 10-20 रह गई। इससे न केवल आढ़ती व उत्पादक किसान सकते में है, बल्कि सरकार को भी हर सप्ताह 15 लाख से अधिक के राजस्व का घाटा हो रहा है। लकड़ी पर लगने वाली दो फीसद मार्केट फीस सरकार के पास नहीं जा रही है। बता दें कि दोनों मंडियों में न केवल प्रदेश के विभिन्न जिलों बल्कि उप्र, हिमाचल व पंजाब से भी लकड़ी पहुंचती है। 500 से अधिक आढ़ती हैं और हजारों लोग कारोबार से जुड़े हैं। ये लोग भी इन दिनों बेरोजगार हैं। इनसेट
कारोबार का यह गणित
पापुलर, सफेदा व अन्य किस्म की लकड़ी की खरीद-फरोख्त के लिए यमुनानगर व जगाधरी में दो लक्कड़ मंडियां हैं। सामान्य दिनों में यमुनानगर में 300-400 व जगाधरी में 100-150 ट्राली की आवक है। अब हालात ये हैं कि यमुनानगर में 10-12 व जगाधरी में संख्या घटकर 4-5 ट्राली रह गई है। आवक न होने के कारण आढ़ती भी परेशान हैं। कारोबार बंद है। लक्कड़ मंडी से हजारों लोगों को चूल्हा चल रहा है। कोई ट्रालियों से लकड़ी उतारने का काम करता है तो कोई बालन की खरीद-फरोख्त करता है। इन दिनों सभी का कामकाज ठप है। लॉकडाउन से पहले उप्र में चुनाव के कारण मंदी छाई रही। बता दे कि जिले में प्लाइवुड कोराबार की प्रेस, पीलिग व आरा की एक हजार से अधिक यूनिट है। इनमें करीब डेढ़ लाख श्रमिक कार्य करते हैं। इनसेट
यह माने जा रहे मंदी के कारण
लक्कड़ कारोबार में मंदी के एक नहीं बल्कि कई कारण बताए जा रहे हैं। उत्तरप्रदेश में भी लॉकडाउन लगा है। यमुनानगर-जगाधरी की अधिकांश प्लाइवुड इकाइयां बंद हैं। इनमें लकड़ी की खपत नहीं रही। नगर निगम एरिया में सरकार के आदेशों पर इकाइयां बंद हैं, जबकि निगम एरिया से बाहर बंद होने के कई कारण बन रहे हैं। मार्केट में वुड प्रोडक्ट की खपत नहीं रही। कारोबारी बाहर माल भेजने से कतरा रहे हैं। क्योंकि पहले ही लॉकडाउन के चलते पेमेंट फंसी पड़ी है। भारी संख्या में श्रमिक अपने प्रदेश लौट चुके हैं। कारोबारी भी मंदी का रोना रो रहे हैं। इनसेट
सभी फैक्ट्रियों को चलाए सरकार
टिबर आढ़ती संगठन के प्रधान शुभम राणा, डायरेक्टर संदीप राणा, पूर्व प्रधान राजेश कांबोज, आढ़ती बलदेव पंवार का कहना है कि लकड़ी की खपत घट जाने से मंडियों में आवक न के बराबर रह गई है। न केवल आढ़ती बल्कि मंडी से जुड़ा हर व्यक्ति प्रभावित हो रहा है। क्योंकि दोनों मंडियों से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप हजारों लोग जुड़े हुए हैं। नगर निगम एरिया में फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं जबकि अधिकांश फैक्ट्रियां निगम एरिया में ही हैं। कोरोना से बचाव के इंतजामों के साथ यदि सरकार सभी फैक्ट्रियों को चलाने की अनुमति दे तो आवक में सुधार आ सकता है। लोगों का रोजगार भी चलता रहेगा और सरकार को आने वाले राजस्व का भी नुकसान नहीं होगा।