कोरोना महामारी ने चौपट कर दिया दशहरा पर बनने वाले पुतला कारोबारियों का व्यापार

कोरोना महामारी की वजह से त्योहारों पर असर पड़ रहा है। वहीं इन त्योहारों में कार्य करने वालों का कारोबार भी मंदा हुआ है। दशहरा पर हर वर्ष लाखों रुपये का कारोबार पुतला बनाने वाले करते हैं लेकिन इस बार यह भी खाली बैठे हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 06:19 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 06:19 AM (IST)
कोरोना महामारी ने चौपट कर दिया दशहरा पर बनने वाले पुतला कारोबारियों का व्यापार
कोरोना महामारी ने चौपट कर दिया दशहरा पर बनने वाले पुतला कारोबारियों का व्यापार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कोरोना महामारी की वजह से त्योहारों पर असर पड़ रहा है। वहीं इन त्योहारों में कार्य करने वालों का कारोबार भी मंदा हुआ है। दशहरा पर हर वर्ष लाखों रुपये का कारोबार पुतला बनाने वाले करते हैं, लेकिन इस बार यह भी खाली बैठे हुए हैं। इक्का दुक्का ऑर्डर मिले हैं, तो वह भी नाममात्र की ऊंचाई के पुतलों के। कोरोना गाइडलाइन के चलते इस बार रस्म अदायगी के लिए ही लोग पुतलों का दहन करेंगे। यह भी केवल उन जगहों पर होगा।

जिले में हर वर्ष कई जगहों पर विजय दशमी के दिन रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होता है। इस बार कोरोना की वजह से पुतलों का दहन नहीं हो रहा है। जगाधरी की श्री राम लीला भवन कमेटी में 107 सालों से रामलीला मंचन व रावण के पुतलों का दहन होता रहा है, लेकिन इस बार यहां भी नहीं आयोजन नहीं हुआ। यहां विजय दशमी के दिन 55 फीट ऊंचे रावण का पुतला और 50-50 फीट के मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले दहन किए जाते थे, लेकिन इस बार यहां पुतले नहीं बनवाए गए। सिर्फ रस्म अदायगी के लिए इनकी ऊंचाई 10 फीट के पुतले बनाए गए हैं। करा रहे केवल रामायण का पाठ

श्री रामलीला कमेटी जगाधरी के प्रधान गोपाल मित्तल ने बताया कि कोविड की वजह से इस बार रामलीला नहीं कराई गई, केवल श्री रामायण का पाठ हो रहा है। इसमें भी केवल कमेटी के ही चुनिदा सदस्य शामिल होते हैं। रस्म अदायगी के लिए पुतले बनवाए गए हैं। वह भी केवल दस फीट के बनवाए गए हैं। उनका ही दहन परिसर में किया जाएगा। किसी तरह की कोई भीड़ एकत्र नहीं होने दी जाएगी। इस बार पुतले बनाने का काम नहीं :

उप्र के सहारनपुर के कारीगर नदीम खान ने बताया कि महामारी से उनके कारोबार पर असर पड़ा है। उनके पुरखे काफी समय पुतले बनाने का कार्य करते रहे हैं। हर वर्ष दर्जनों पुतलों के ऑर्डर उनके पास आते थे। 50 से 60 फीट तक के पुतले वह तैयार करते थे। इनमें काफी व्यस्त रहते थे, लेकिन इस बार मात्र दो ही ऑर्डर आए हैं। महामारी में काफी नुकसान हुआ है।

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