कॉमन सर्विस सेंटर संचालक बनेंगे पराली की खरीददार
फसल अवशेष प्रबंधन में कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों की अहम भूमिका रहेगी। सीएससी संचालक अंबली के रमनदीप वालिया लाहड़पुर के गौरव सैनी गधौली के करनैल सिंह जड़ोदा के विक्रम नागल के जोशन लाल व कड़कौली के मनिद्र सिंह पराली की गांठ बनाकर विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में सप्लाई करने के काम कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : फसल अवशेष प्रबंधन में कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों की अहम भूमिका रहेगी। सीएससी संचालक अंबली के रमनदीप वालिया, लाहड़पुर के गौरव सैनी, गधौली के करनैल सिंह, जड़ोदा के विक्रम, नागल के जोशन लाल व कड़कौली के मनिद्र सिंह पराली की गांठ बनाकर विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में सप्लाई करने के काम कर रहे हैं। कृषि यंत्र स्ट्रा बेलर से फसल अवशेषों का प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुमानित 20 क्विटंल पराली प्रति एकड़ के हिसाब से 50 रुपये प्रति क्विटंल की दर पर प्रोत्साहन स्वरूप एक हजार रुपये की राशि दी जाएगी। दिखाना होगा बिल
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर किसान को अपना पंजीकरण करवाना होगा व कृषि यंत्र स्ट्रा बेलर के उपयोग से फसल अवशेष (पराली) की बनाई गई गांठ के निष्पादन के लिए नजदीकी उद्योग का चयन करना होगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. सुरेंद्र यादव ने बताया कि प्रोत्साहन राशि उस किसान को दी जाएगी जो किसान उद्योग को बेचे गए फसल अवशेष (पराली) की गांठ के बिक्री का बिल प्रस्तुत करेगा। यह प्रोत्साहन राशि उस किसान को भी दी जाएगी जो पराली की गांठ का भंडारण ग्राम पंचायत की ओर से दिए गए क्षेत्र में करेगा। पराली जलाएं नहीं करें प्रबंधन
सहायक कृषि अभियंता डा. विनीत जैन ने बताया कि किसानों को अपने फसल अवशेषों में आग लगाने की आवश्यकता नहीं है। वह कृषि यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर स्ट्रा बेलर से गांठ बनाकर उचित प्रबंधन कर सकते हैं। किसान इन यंत्रों को नजदीकी कस्टम हायरिग केंद्र से किराये पर ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त जो किसान स्ट्रा बेलर के उपयोग से फसल अवशेष (पराली) की गांठ इच्छुक हैं वह अपने नजदीकी कस्टम हायरिग केन्द्र अथवा निजि किसान जिनके पास स्ट्रा बेलर उपलब्ध हैं उनसे संपर्क कर सकते हैं।