सात से 22 हजार रुपये टन हुआ कोयला, 1700 रुपये तक बढ़ा ईटों का रेट

कोयले के कम उत्पादन का असर थर्मल पावर प्लांटों पर ही नहीं बल्कि ईट भट्ठों पर भी पड़ा है। ईट भट्ठों पर इस्तेमाल होने वाले कोयले का रेट सात हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन से 22 हजार रुपये हो गया है। यही वजह है कि जिले के ईट भट्ठे इस सीजन में अभी तक नहीं चल सके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 05:47 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 05:47 PM (IST)
सात से 22 हजार रुपये टन हुआ कोयला, 1700 रुपये तक बढ़ा ईटों का रेट
सात से 22 हजार रुपये टन हुआ कोयला, 1700 रुपये तक बढ़ा ईटों का रेट

राजेश कुमार, यमुनानगर : कोयले के कम उत्पादन का असर थर्मल पावर प्लांटों पर ही नहीं, बल्कि ईट भट्ठों पर भी पड़ा है। ईट भट्ठों पर इस्तेमाल होने वाले कोयले का रेट सात हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन से 22 हजार रुपये हो गया है। यही वजह है कि जिले के ईट भट्ठे इस सीजन में अभी तक नहीं चल सके हैं। भट्ठों के नहीं चलने से ईटों का रेट भी 1500 से 1700 रुपये तक बढ़ गया है। यही यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में रेट में ओर भी बढ़ोतरी हो सकती है। यूएसए से आता है भट्ठों का कोयला

भट्ठों पर जो कोयला ईट पकाने में इस्तेमाल होता है वह पहले गुवाहाटी व रानीगंज समेत अन्य खादानों से आता था। परंतु चार-पांच साल से यही कोयला यूएसए से आ रहा है। परंतु इस बार बरसात अधिक होने के कारण यूएसए से भी कोयला कम आने लगा है। ईट भट्ठा एसोसिएशन की माने तो पहले यूएसए से सात हजार रुपये प्रति टन कोयला आ रहा था। जिसकी कीमत अब 22 हजार रुपये टन हो गई है। इसके अलावा गुजरात बंदरगाह से गाड़ी में लाने पर तीन हजार रुपये किराया अलग से है। इस तरह एक टन कोयला 25 हजार रुपये में पड़ रहा है। कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण अभी तक कोई भट्ठा चलाने की सोच भी नहीं रहा है। जिले में हैं 96 ईट भट्ठे

जिले में 96 र्ईट भट्ठे हैं। आमतौर पर सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर तक भट्ठों में ईटों की पथेर का काम शुरू हो जाता था। सर्दी में कच्ची ईट अंदर से नहीं सूखती इसलिए कोयले की खपत ज्यादा होती है। जबकि गर्मी में कम खपत होती है। इस तरह एक लाख ईंट पकाने पर औसतन 13 से 14 टन कोयले की खपत होती है। परंतु कोयले की कीमत तीन गुणा से अधिक बढ़ जाने से भट्ठा संचालकों की नींद उड़ गई है। भट्ठे नहीं चलने से स्टाक हुआ कम

जून माह तक एक हजार ईटों का रेट 4800 रुपये था। लेकिन भट्ठे अभी तक नहीं चल पाए हैं। दूसरा ईटों का स्टाक भी धीरे-धीरे कम होने लगा है। इसलिए ईट का रेट 6300 से 6500 रुपये एक हजार हो गया है। यदि महंगा कोयला खरीद कर भट्ठे चलाते हैं तो भी ईटों का रेट कम होने की कोई संभावना नहीं है।

वर्जन

कोयला सात हजार से बढ़कर 22 हजार रुपये टन हो गया है। इससे सभी भट्ठा संचालक परेशान हैं। पिछले दिनों हुई मीटिग में निर्णय लिया गया था कि सभी भट्ठे 15 अक्टूबर से चला लेंगे। परंतु अब ऐसा नहीं होगा। आने वाले दिनों में ईटों का रेट ओर बढ़ेगा। अभी कुछ माह भट्ठे चलने की उम्मीद भी नहीं है।

रणबीर कांबोज, जिला प्रधान, ईट भट्ठा एसोसिएशन।

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