Citizenship Amendment Act: शव यात्रा पर मारते थे पत्थर, इसलिए छोड़ दिया पाकिस्तान

Citizenship Amendment Act पाकिस्तान से आए लोगों ने केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया को आपबीती सुनाई। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर ये परिवार बेहद खुश हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 23 Dec 2019 09:38 AM (IST) Updated:Tue, 24 Dec 2019 09:09 AM (IST)
Citizenship Amendment Act: शव यात्रा पर मारते थे पत्थर, इसलिए छोड़ दिया पाकिस्तान
Citizenship Amendment Act: शव यात्रा पर मारते थे पत्थर, इसलिए छोड़ दिया पाकिस्तान

यमुनानगर [पोपीन पंवार]। Citizenship Amendment Act: पाकिस्तान से आए 22 हिंदू परिवार जिले में बसे हैं। 10 को नागरिकता मिल चुकी है। बाकी परिवार इंतजार कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर ये परिवार बेहद खुश हैं। इनका कहना है कि पाकिस्तान में शव यात्रा पर पथराव होता था। धर्म परिवर्तन पर जोर दिया जाता था। विरोध पर जेल होती थी। इसी कारण पाकिस्तान छोड़ दिया। ये आपबीती पाकिस्तान से आए लोगों ने केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया व विधायक घनश्याम दास अरोड़ा को यहां आयोजित कार्यक्रम में सुनाई। 

पाकिस्तान और भारत के बीच अंतर पर नगर सुधार मंडल के पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण दास बहल (88) बोले कि पाकिस्तान में तीन दफा जिला काउंसलर का चुनाव जीता। हर बार बहुमत मिला, लेकिन उनकी बात नहीं मानी जाती थी। अंतिम संस्कार करने के लिए जब हिंदू के शव को श्मशान जाते थे तो शव यात्रा पर पत्थर फेंके जाते थे। धर्म परिवर्तन के लिए लंबे समय जेल में बंद रखा गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। किसी तरह से परिवार के साथ यमुनानगर पहुंचे। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चुनाव में साथ इसलिए दिया था कि वे पाकिस्तान से आए हिंदूदुओं को नागरिकता दिलाने में मदद करेंगे, मगर उनकी पार्टी नागरिक संशोधन बिल का विरोध कर रही है। उन्होंने मंच से घोषणा करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।

करोड़ों की संपत्ति हजारों में बेची

पूर्ण बहल का पाकिस्तान के शहर कोहाट में कारोबार था। सब कुछ लूट लिया गया। बच्चों को यह भी छिपाना पड़ता था कि वे हिंदू हैं। वर्ष 1988 में जब भारत आए तो खुली हवा में सांस ली। वहां उनकी करोड़ों की संपत्ति थी, जो हजारों में बेच दी। यहां आए तो लोगों ने काफी साथ दिया। हमीदा में किराये पर मकान लिया। यहां पर भी अच्छा कारोबार है। पुराने दिनों की याद आती है तो मन घबराता है।

बिना बुर्के के घर से बाहर नहीं निकल सकते

आजाद नगर में रह रहे रणजीत का कहना है कि उनके पिता दो भाई है। उनके चाचा दर्शन सिंह पहले ही यमुनानगर में आ गए थे। वे पाकिस्तान में फंस गए। परिवार की महिलाएं बुर्का पहन कर घर से बाहर निकलती थी। बिंदी भी नहीं लगा सकती थी। यदि पता चल जाए कि ये महिलाएं हिंदू हैं तो उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार होता था। ये सोचकर ही रूह कांप जाती है।

ये शर्त खत्म हो

वैद्य जसबीर का कहना है कि पाकिस्तान से जब कोई हिंदू वीजा लगाता है तो उनको क्लास वन अधिकारी का आइकार्ड साथ लगाना होता है। ये बहुत बड़ी चुनौती है। इस शर्त में भी संशोधन होना चाहिए। इस पर केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात करने का आश्वासन दिया। साथ ही दूसरे देशों से आए अल्पसंख्यकों के लिए कैंप लगाने की बात भी कही।

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