बच्चे देश का भविष्य, इनकी मदद के लिए आगे आएं लोग : सुखमिद्र सिंह
वर्ष 1986 में लागू हुए किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों की दो है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : वर्ष 1986 में लागू हुए किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों की दो प्रकार की केटेगरी बनाई गई थी। एक वह बच्चे जो किसी अपराध में संलिप्त हैं व दूसरे वह बच्चे जिन्हें देखरेख की जरूरत हैं। फिर भी काफी संख्या में बच्चे सड़कों पर भीख मांगते हुए मिल जाएंगे। ऐसे में बाल कल्याण परिषद की जिम्मेदारी काफी बढ़ी है। ऐसे बच्चों के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं इस पर जिला बाल कल्याण अधिकारी सुखमिद्र सिंह ने दैनिक जागरण संवाददाता राजेश कुमार से बातचीत की। सवाल : एक दशक से परिषद की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, ऐसा क्यों?
जवाब : वर्ष 1970 में जब परिषद का गठन हुआ उस समय सभी सरकारी स्कूलों से जो फीस या चंदा स्कूल में लिया जाता था वह बाल कल्याण परिषद को मिलता था। वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार लागू होने से यह सुविधा बंद हो गई। तब से वित्तीय स्थिति बिल्कुल गड़बडाई हुई है। सवाल : बेसहारा बच्चों के लिए परिषद क्या कर रहा है?
जवाब : बाल कल्याण परिषद खुले आसमान की तरह है। अनाथ, बेसहारा व असहाय बच्चों के लिए बाल गृह चलाया जा रहा हैं। आम व साधारण बच्चों के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षण, परिषद द्वारा करवाए जा रहे हैं। सवाल : कोरोना महामारी के दौर में परिषद के कार्यों पर क्या असर पड़ा?
जवाब : महामारी के दौर में बच्चे बाल भवन जैसी जगहों पर प्रशिक्षण लेने के लिए नहीं आ सकते थे और न ही उनके मध्य कोई किसी प्रकार की प्रतियोगिताएं करवाई गई। ऐसी स्थिति में परिषद द्वारा बच्चों को आनलाइन प्रतियोगिताओं में व्यस्त रखा गया। अब तक पांच प्रकार की आनलाइन प्रतियोगिताएं परिषद द्वारा करवाई जा चुकी हैं। पहली रंगमंच, दूसरी चाइल्ड सेफ्टी, तीसरी जय हिद, चौथा बाल महोत्सव व पांचवा ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन हुआ। सवाल : लाकडाउन में जरूरतमंद बच्चों की किस तरह से मदद की?
जवाब: इसके लिए परिषद के सभी बाल भवन के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा चाइल्ड सेफ्टी किट वितरित की गई। यह किट स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों को दी गई। जिन्हें इनकी जरूरत थी। इस किट में बच्चों को मास्क, नेल कटर, साबुन, सैनिटाइजर, शहद, बिस्किट, भोजन। कई संस्थाओं ने इस कार्य में अपना सहयोग दिया। सवाल : डे केयर सेंटर कब तक खुलने की उम्मीद है?
जवाब : डे केयर सेंटर गत वर्ष से कोरोना महामारी के चलते बंद है। अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही यह दोबारा चल जाएगा। डे केयर सेंटर उन बच्चों के लिए है जिनके माता-पिता नौकरी करते हैं। घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं। वह अपने बच्चों को इसमें छोड़ कर चले जाते हैं। जहां पर बच्चों का न केवल ध्यान रखा जाता है बल्कि उन्हें पढ़ाई की बेसिक जानकारी भी दी जाती है। इसमें 25 बच्चों को रखने की व्यवस्था है। सवाल : कई बार लोग नवजात बच्चियों को खुले में फेंक देते हैं, उनकी देखभाल कौन करता है?
जवाब : जो नवजात बच्चे लावारिस स्थिति में मिलते हैं उन्हें शिशु गृह पंचकूला में भेजा जाता है। एक निश्चित समय के बाद यदि उनके माता-पिता नहीं मिलते तो उन बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। सवाल : राज्यस्तरीय आनलाइन ग्रीष्मकालीन शिविर में कितनी एंट्री आई?
जवाब : प्रदेश भर में 212728 बच्चों की एंट्रियां हमें प्राप्त हुई है। इसमें यमुनानगर के 5480 बच्चों ने अपनी एंट्री भेजी। पहले सप्ताह में जिला में 309, दूसरे सप्ताह के 236 बच्चों के परिणाम जारी हो चुके हैं। विजेता बच्चे पोर्टल पर अपना नाम चाइल्ड वेलफेयर हरियाणा.काम की वेजबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। वहीं से वह अपना प्रमाण पत्र भी आनलाइन ही डाउनलोड कर सकते हैं। सवाल : लोगों से क्या अपील करना चाहेंगे?
जवाब : जिला बाल कल्याण अधिकारी के पद पर होने के नाते मैं आम जनता से अपील करता हूं कि वह बाल कल्याण के क्षेत्र में अपना सहयोग दें। वह सहयोग दान व चंदा या परिश्रम से संबंधित भी हो सकता है। ताकि बच्चों के कल्याण की योजनाएं चलती रहें क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य हैं।