एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर केस दर्ज

हर माह कर्मचारियों के हिस्से का 50 लाख रुपए डकारा जा रहा है। ईपीएफ विभाग ने 21 फर्मो पर धारा सात (ए) के तहत केस दर्ज करवा दिया। मामले में अब ज्यूडिशियल जांच शुरू हो गई। 15 लोगों को वारंट जारी किए गए हैं। इसके अलावा 40 उद्योगपतियों को नोटिस भेजकर तलब किया है। संतोषजनक जवाब नहीं आने पर इनके खिलाफ भी विभाग सख्ती करने के मूड में है। विभाग की कार्रवाई से व्यापारियों में हडकंप मचा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 05:55 AM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 06:33 AM (IST)
एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर केस दर्ज
एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर केस दर्ज

पोपीन पंवार , यमुनानगर : करोड़ों रुपए की कमाई करने वाले 238 फर्म संचालक कर्मचारी भविष्य निधि के तहत ईपीएफ का पैसा हड़प रहे हैं। हर माह कर्मचारियों के हिस्से का 50 लाख रुपए डकारा जा रहा है। ईपीएफ विभाग ने 21 फर्मो पर धारा सात (ए) के तहत केस दर्ज करवा दिया। मामले में अब ज्यूडिशियल जांच शुरू हो गई। 15 लोगों को वारंट जारी किए गए हैं। इसके अलावा 40 उद्योगपतियों को नोटिस भेजकर तलब किया है। संतोषजनक जवाब नहीं आने पर इनके खिलाफ भी विभाग सख्ती करने के मूड में है। विभाग की कार्रवाई से व्यापारियों में हडकंप मचा हुआ है। मामला दबाने के लिए सिफारिशें लगा रहे हैं। कार्रवाई के लिए तीन कैटेगरी बनाई

जिले में प्लाईवुड, मेटल इंडस्ट्री, शिक्षण संस्थान व अन्य इंस्टीट्यूट है। केवल 1400 फर्म ही कर्मचारियों को भविष्य निधि देने के रिकॉर्ड में हैं। जब इनकी जांच की गई तो पता चला कि इनमें से भी कुछ फर्म कर्मचारियों के ईपीएफ में हेराफेरी कर रही है। इस गडबड़ी को रोकने के लिए विभाग ने कार्रवाई के लिए फर्म को ए, बी व सी कैटेगरी में विभाजित किया। इनमें 238 फर्म ए कैटेगरी में ली है। इन पर कार्रवाई शुरू कर दी। ए कैटेगरी की फर्मों पर कार्रवाई के लिए जिले स्तर के अधिकारियों को उच्चाधिकारियों से किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसमें नोटिस जारी करने, केस दर्ज करवाने, वारंट जारी करने व गिरफ्तारी सहित अन्य कार्रवाई की जा सकती है। बी व सी कैटेगरी में कार्रवाई से पहले अनुमति का नियम है। सरकारी विभागों के नाम भी है लिस्ट में

जिन फर्म व विभागों पर भविष्य निधि के अधिकारियों ने सख्ती है। उनमें नगर निगम, फोरेस्ट, पब्लिक हेल्थ, मेटल इंडस्ट्री, प्लाइवुड ईकाईया, दर्जनों शिक्षणों के अलावा संस्थानों के नाम शामिल है। बताया जा रहा है कि सितंबर माह तक कार्रवाई की रिपोर्ट अधिकारियों को हैड आफिस भेजनी है। इसलिए सख्ती हो रही है। रिकॉर्ड में भी खामी : प्लाइवुड व मेटल के काम से मशहूर जिले में तीन लाख से ज्यादा श्रमिक चार हजार के करीब संस्थानों( फर्म,फैक्ट्रियां, कंपनी, शिक्षण संस्थान व अन्य) में काम कर रहे हैं। इनमें से मात्र 1400 संस्थान 24 हजार कर्मचारियों को ईपीएफ व 32 हजार को ईएसआइ की सुविधा मिल रही है। एडवोकेट करनेश वर्मा का कहना है कि कुछ फर्मों ने तो ठेकेदार के माध्यम से कर्मचारियों को रखा हुआ है, ताकि विभागीय कार्रवाई से आसानी से निकाला जा सके। 20 कर्मचारियों पर नियम होता है लागू : किसी भी कंपनी या फर्म यदि 20 कर्मचारी काम करते हैं। उनको ईपीएफ की सुविधा और ईएसआई के लिए कम कम से 10 कर्मचारी होने जरूरी है। ईपीएफ में वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी और इनता ही अंशदान कंपनी को जमा कराने का नियम है। महीने की 15 तारीख तक जमा होना चाहिए अंशदान : कमिश्नर

ईपीएफ कमिश्नर मंयक बंसल का कहना है कि ए कैटेगरी में 238 फर्मों के नाम है। इनमें प्राइवेट संस्थानों के अलावा सरकारी विभागों के नाम भी है। ये कई करोड़ों की हेराफेरी है। कुछ फर्म चार या पांच माह में कर्मचारियों को ईपीएफ देती है, जबकि नियम के मुताबिक अगले माह की 15 तारीख तक ये पैसा कर्मचारी के खाते में जमा होना चाहिए।

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