मन को हर स्थिति में सबल बनाता है ब्रह्मज्ञान : सविता
जागरण संवाददाता, जगाधरी : विचलित होना हर इंसान के लिए स्वभाविक है, लेकिन सुख दु:ख से ऊपर उठ कर जीने की कला जो सदगुरु सिखाते हैं। उसमे हम खुद को सबल बना कर सुखदुख के प्रति समान दृष्टि का भाव रखना सीख जाते है। ये प्रवचन सविता भारती ने साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम के दौरान अपने मुखार¨बद से कहे। आयोजन हनुमान गेट स्थित जगाधरी आश्रम में हुआ।
जागरण संवाददाता, जगाधरी : विचलित होना हर इंसान के लिए स्वभाविक है, लेकिन सुख दु:ख से ऊपर उठ कर जीने की कला जो
सदगुरु सिखाते हैं। उसमे हम खुद को सबल बना कर सुखदुख के प्रति समान दृष्टि का भाव रखना सीख जाते है। ये प्रवचन सविता भारती ने साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम के दौरान अपने मुखार¨बद से कहे। आयोजन हनुमान गेट स्थित जगाधरी आश्रम में हुआ।
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जब भक्ति का सबल आ जाता है तो हमारा मन अपने आप ही समता योग की ग्रहण कर लेता है।हर प्रास्थिति में सम रहना व उसे दृष्टि भाव से देखना ही जीवन में समता योग को धारण करना है, लेकिन ये तभी संभव है, जब हम ब्रह्मज्ञान से जुड़ कर व पल प्रति पल गुरु आज्ञा में रहते हुए अपने आप को परम तत्व की प्राप्ति के लिए साधना की अग्नि में तपाते हैं। उच्च जीवन की प्राप्ति के लिए हमें शरीर भाव छोड़ कर आत्मा भाव और आत्मा भाव को छोड़ कर परमात्मा भाव में जीना होगा।