चीन-ताइवान की तर्ज पर तैयार होगा काली लहसुन
दामला के किसान धर्मवीर कोरोना काल को अवसर में बदलने का काम कर रहे हैं।
संजीव कांबोज, यमुनानगर :
दामला के किसान धर्मवीर कोरोना काल को अवसर में बदलने का काम कर रहे हैं। सामान्य से ब्लैक गार्लिक (काली लहसुन) तैयार करने के लिए प्रोसेसिग मशीन तैयार कर दी। मशीन से 80-85 डिग्री सेल्सियस पर तपा कर सामान्य गार्लिक को ब्लैक गार्लिक बना रहे धर्मवीर बाजार में बेच रहे हैं। दाम भी कई गुणा अधिक मिल रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक लहसुन में औषधीय गुण होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने साथ-साथ शुगर, कैंसर, जोड़ों के दर्द में भी रामबाण है। इसलिए इसकी डिमांड काफी देखी जा रही है। इसका पेस्ट बनाकर फास्टफूड में डाला जाता है। शहद में मिलाकर खाया जा सकता है।
जहाज में पंपलेट देखकर आया आइडिया
दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान किसान धर्मवीर ने बताया कि वह अपने खेतों में लहसुन की खेती करता है। गत माह नागालैंड में जड़ी बूटियों की प्रशिक्षण देने के लिए गए थे। उद्यान विभाग नागालैंड की ओर दीमापुर में बुलाया गया था। जहाज से वापस लौट रहे थे। इस दौरान उसकी नजर एक पंपलेट पर गई। इस पर ब्लैक गार्लिक बारे लिखा हुआ था, लेकिन यह अंग्रेजी में लिखा था। उसकी बेटी पूजा ने हिदी में अनुवाद किया। फिर पता चला कि यह प्राकृतिक तौर पर तैयार नहीं होती बल्कि मशीन के माध्यम से तैयार किया जाता है। यू-ट्यूब पर खोज की। वीडियो में कुकर के माध्यम से सामान्य गार्लिक को ब्लैक गार्लिक बनाते हुए दिखाया गया। बाद में प्रोसेसिग मशीन तैयार करने का आइडिया उसके दिमाग में आया।
हमारे यहां चूल्हे में भूनते हैं
मशीन की क्षमता 250 क्विंटल की है। मतलब एक बार में 250 क्विंटल सामान्य को ब्लैक गार्लिक में तब्दील किया जा सकता है। उसने पहली एक क्विंटल 60 किलो लहसुन डालकर ट्रायल किया। एक सप्ताह में मशीन तैयार की। उनके मुताबिक अमेरिका, चीन, ताइवान व थाइलैंड में लहसुन को भूनकर खाया जाता है। हमारे यहां भी कुछ लोग चूल्हे में भूनकर लहसुन खाते हैं। भूनने के बाद इसका रंग काला जाता है और खाने में इसका स्वाद मीठा होता है। जबकि सफेद लहसुन का स्वाद तीखा होता है। यह एक अच्छा एंटी आक्सिडेंट और औषधीय गुणों से भरपूर है।
बेहतर कारोबार भी
किसान धर्मवीर ने बताया कि ब्लैक गार्लिक की डिमांड काफी है। यह एक अच्छा कारोबार भी है। क्योंकि सामान्य लहसुन की कीमत जहां 25-30 रुपये प्रति किलो है, वहीं ब्लैक होने के बाद 700-800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। यह शरीर को कोरोना से लड़ने की ताकत भी देती है। उनके द्वारा तैयार मशीन की भी काफी डिमांड आ रही है।