कोरोना महामारी के बीच नाममात्र के मानदेय पर आशा वर्कर कर रही 12-12 घंटे काम

कोरोना से जंग हो या फिर अन्य स्वास्थ्य सेवाएं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 07:39 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:39 AM (IST)
कोरोना महामारी के बीच नाममात्र के मानदेय पर आशा वर्कर कर रही 12-12 घंटे काम
कोरोना महामारी के बीच नाममात्र के मानदेय पर आशा वर्कर कर रही 12-12 घंटे काम

संवाद सहयोगी, रादौर : कोरोना से जंग हो या फिर अन्य स्वास्थ्य सेवाएं। आशा वर्कर इसमें अहम भूमिका निभा रही हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विभाग से मिलने वाले नाममात्र के मानदेय और कुछ इंसेंटिव के भरोसे हजारों आशा वर्कर कोरोना महामारी के बीच डटी हुई है। कोरोना में भी इन आशा वर्करों के लिए सरकार की ओर से अलग से बजट नहीं दिया गया है। इतना हीं नहीं उनके पास कोरोना में उपयोगी सामग्री भी पर्याप्त मात्रा में विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है।

आशा वर्करों का कार्य गांव में होने वाले सर्वे से शुरू होता है। पहले जहां अन्य बीमारियों से संबंधित सर्वे गांव में होते थे। वहीं अब कोरोना से संबंधित सर्वे भी विभाग की ओर से कराया जा रहा है। इसका पूरा दरोमदार आशा वर्करों पर है। यदि किसी में लक्षण मिलते हैं, तो उसकी जांच कराना भी इनके जिम्मे है। कोई संक्रमित आ जाए, तो उसके होम आइसोलेशन के दौरान भी देखरेख इनके ही जिम्मे हैं। रोजाना फीडबैक लेना और संक्रमित के घर तक दवाईयां भिजवाना सब आशाओं के भरोसे चल रहा है। गांव में अगर कोई व्यक्ति पॉजीटिव आता है तो आशा वर्कर उसके परिवार के सदस्यों की तरह ही उसकी चिता करती है। विभाग से मिली दवाईयां उसके घर पर पहुंचाना और सुबह शाम उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेती हैं।

न ग्लब्स, न ही मास्क

आशा वर्करों को न तो ग्लब्स मिल रहे हैं और न ही मास्क मिल रहे हैं। सैनिटाइजर भी वह खुद से ही खरीदती हैं। कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। इसके बावजूद इन आशाओं के स्वास्थ्य की सुध नहीं ली जा रही है। जान जोखिम में डालकर यह 12-12 घंटे की ड्यूटी कर रही हैं। आशा वर्करों को सरकार की ओर से केवल चार हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। बाकी कुछ इंसेटिव मिलते है। लेकिन यह सब नाकाफी है।रात में यदि किसी गर्भवती महिला या अन्य किसी को कोई दिक्कत हो जाएं, तो इन्हें ही दौड़ना पड़ता है।

बढ़ना चाहिए मानदेय, कोरोना संकट में जारी हो अतिरिक्त बजट : रेखा आशा वर्कर यूनियन की ब्लॉक प्रधान रेखा रानी का कहना है कि आशाओं का मानदेय काफी कम है। जिस तरह से आशाएं स्वास्थ्य विभाग की महत्तवपूर्ण कड़ी बनकर हर तरह से साथ खड़ी हैं। ऐसे में उनका मानदेय बढ़ना चाहिए। अब कोरोना संकट में भी सबसे अधिक व रिस्क वाला कार्य आशा वर्कर की कर रही है। इसके लिए अलग से मानदेय आशा वर्करों को मिलना चाहिए।

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