केयूके में नौकरी दिलाने के नाम पर भाई-बहन से ठगी का आरोपित गिरफ्तार

गुमथला राव निवासी भाई-बहन से कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में क्लर्क व हेड क्लर्क की नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी के आरोपित नागल निवासी सुशील कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में महिला समेत चार आरोपितों पर केस दर्ज हुआ है। आरोपित ने भाई-बहन से सात लाख रुपये ठगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 07:05 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 07:05 AM (IST)
केयूके में नौकरी दिलाने के नाम पर भाई-बहन से ठगी का आरोपित गिरफ्तार
केयूके में नौकरी दिलाने के नाम पर भाई-बहन से ठगी का आरोपित गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

गुमथला राव निवासी भाई-बहन से कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में क्लर्क व हेड क्लर्क की नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी के आरोपित नागल निवासी सुशील कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में महिला समेत चार आरोपितों पर केस दर्ज हुआ है। आरोपित ने भाई-बहन से सात लाख रुपये ठगे हैं। मामले की जांच इकोनोमिक सेल कर रहा था। सेल के इंचार्ज सुरेश कुमार ने बताया कि आरोपित सुशील कुमार से दस्तावेज बरामद किए गए। उसे कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

गांव गुमथला राव निवासी दीपचंद ने थाना जठलाना पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि नागल निवासी सुशील कुमार से उसकी पुरानी पहचान थी। एक दिन सुशील ने उन्हें बताया था कि उसकी राजनीति से जुड़े कुछ लोगों से अच्छी जान पहचान है। यदि वह कहे तो वह उसके बेटे जितेंद्र व बेटी प्रतिभा रानी को कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी कुरुक्षेत्र में क्लर्क व हेड क्लर्क के पद पर नौकरी लगवा देगा। तब सुशील ने उसे फ्रेंडस कालोनी जगाधरी निवासी आरती संधू व उसके भाई सोनू संधू से मिलवाया। उनके साथ जसवंत कालोनी का गगनदेव भारती भी वहां मौजूद था। तीनों ने उनसे दोनों बच्चों को नौकरी लगाने के नाम पर 23 लाख रुपये मांगे थे। जून 2018 में उसे खजूरी में बुलाया गया था। जहां पर उससे बच्चों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र व फोटोग्राफ लिए गए थे। कुछ दिन बाद उसने सात लाख रुपये आरोपितों को दे दिए। इसके बाद चारों ने जितेंद्र व प्रतिभा रानी के नाम से केयूके में 28 जनवरी 2019 तक नौकरी ज्वाइन करने के दो लेटर भी दिए। दोनों बच्चे ज्वाइनिग करने यूनिवर्सिटी में गए तो उन्हें अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की न तो कोई नौकरी यूनिवर्सिटी में निकली है और न ही उन्हें लेटर जारी किया गया है। यह सुनते ही वह घबरा गए और आरोपितों से बात की तो उन्हें झांसा दिया गया कि इस भर्ती पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इसलिए वह उनके बच्चों को दूसरी जगह चेतना ग्रामीण इंप्रूवमेंट एंड इंप्लायमेंट विभाग में नौकरी पर लगवा देंगे। इसके बाद वह बच्चों को कभी चंडीगढ़ के सेक्टर-17-सी में चेतना ग्रामीण इंप्रूवमेंट एंड इंप्लायमेंट कार्यालय में तो कभी पानीपत लेकर गए, परंतु बच्चों की नौकरी नहीं लगी। जब आरोपितों से पैसे वापस मांगे, तो उन्होंने चेक दिए। जो बैंक में लगाते ही बाउंस हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था।

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