बैंकों की मनमानी से 7500 छात्रों के नहीं खुल पाए खाते, किताबों की राशि से वंचित

बैंक अधिकारी मनमानी पर उतार आए हैं। वह एलडीएम जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के आदेश भी नहीं मान रहे हैं। बैंक अधिकारियों की मनमानी के चलते इस सत्र में राजकीय स्कूलों के 7500 से अधिक विद्यार्थियों के खाते नहीं खुल पाए हैं। अभिभावक बच्चों को लेकर बैंकों में चक्कर काट रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 05:30 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 05:30 AM (IST)
बैंकों की मनमानी से 7500 छात्रों के नहीं खुल पाए खाते, किताबों की राशि से वंचित
बैंकों की मनमानी से 7500 छात्रों के नहीं खुल पाए खाते, किताबों की राशि से वंचित

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

बैंक अधिकारी मनमानी पर उतार आए हैं। वह एलडीएम, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के आदेश भी नहीं मान रहे हैं। बैंक अधिकारियों की मनमानी के चलते इस सत्र में राजकीय स्कूलों के 7500 से अधिक विद्यार्थियों के खाते नहीं खुल पाए हैं। अभिभावक बच्चों को लेकर बैंकों में चक्कर काट रहे हैं। अध्यापक भी कई बार बैंकों में जाकर मैनेजर से मिल चुके हैं, परंतु उन पर कोई असर नहीं हुआ। मैनेजर व तमाम कर्मचारी खाते खोलने को लेकर ऐसे-ऐसे कारण बता रहे हैं जो आदेश न तो एलडीएम ने जारी किए हैं और न रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने। खाते न खोलने के पीछे हकीकत :

सरकार के आदेश हैं कि राजकीय स्कूलों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनके बैंकों में जीरो बैलेंस पर खाते खोले जाएं। सरकार का यही आदेश बैंकों को हजम नहीं हो रहा। बैंकों का मानना है कि यदि वह जीरो बैलेंस पर खाता खोलेंगे तो इससे बैंक को कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि इन खातों में लेन-देन न के बराबर होता है। बैंक केवल अपना वित्तीय लाभ देख रहे हैं, लेकिन परेशानी उन बच्चों को उठानी पड़ रही है जिन्होंने राजकीय स्कूलों में दाखिला ले रखा है। अभिभावक जब बैंक में खाते खुलवाने जाते हैं तो कर्मचारी तर्क देते हैं कि अभी सर्वर में कुछ खराबी है, जीरो बैलेंस पर खाता खोलने में दिक्कत आ रही है। कभी कहते हैं हेड आफ से आदेश हैं कि अभी नया खाता नहीं खोलना है। सबसे बड़ा बहाना तो यही है कि 10 साल से छोटे बच्चे के खाते नहीं खुल रहे हैं। दैनिक जागरण ने कर्मचारियों के इन बहानों को लेकर एलडीएम रणधीर सिंह से बात की। जिस पर एलडीएम ने कहा कि किसी बैंक को खाता खोलने से मना नहीं किया है। बच्चा चाहे 10 साल से छोटा हो या बड़ा, उनका खाता खुल सकता है। खाते में ही आते हैं योजना के पैसे :

इस बार पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल से किताबें नहीं मिल पाई हैं। इसलिए शिक्षा विभाग ने प्रत्येक बच्चे को किताबों के लिए 250 रुपये देने का निर्णय लिया है। परंतु यह राशि केवल खाते में ही आनलाइन जमा होगी। इसके अलावा ओर भी स्कीमों की राशि खाते में ही आनी है। परंतु बैंकों की मनमानी के चलते किताबों के पैसे अभी तक बच्चों को नहीं मिल पाए हैं। फोटो : 28

डीजीएम तक को पत्र लिख चुके हैं : सतपाल सिंह

जिला शिक्षा अधिकारी सतपाल सिंह का कहना है कि बच्चों के खाता खोलने में बैंक मैनेजर व कर्मचारी बहुत परेशान कर रहे हैं। निदेशालय के आदेशानुसार इंडियन पोस्टल बैंक में भी खाता खुलवाया जा सकता है, परंतु बायोमीट्रिक प्रोसेस होने के कारण इसमें 10 साल तक के बच्चों का खाता नहीं खुल सकता। वह खातों को लेकर एलडीएम के अलावा एसबीआइ व पीएनबी के डीजीएम तक को पत्र लिख चुके हैं परंतु कोई असर देखने को नहीं मिला। अब वह डीसी को मिलकर इस परेशानी से अवगत कराएंगे।

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