देश में 100 करोड़, तो जिले में टीकाकरण दस लाख पार, मनाया जश्न

देश में 100 करोड़ टीके लगाए जाने का जश्न मनाया जा रहा है तो जिले में भी टीकाकरण दस लाख के पार हो चुका है। अभी तक 11 लाख 39 हजार 361 लोगों को टीके लग चुके हैं। इनमें आठ लाख 21 हजार 803 लोगों को पहली और तीन लाख 17 हजार 558 को दूसरी डोज लग चुकी है। टीकाकरण दस लाख के पार होने व देश में 100 करोड़ टीके लगाए जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जश्न मनाया। 150 गांव ऐसे हैं। जहां पर शत प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 05:29 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 05:29 AM (IST)
देश में 100 करोड़, तो जिले में टीकाकरण दस लाख पार, मनाया जश्न
देश में 100 करोड़, तो जिले में टीकाकरण दस लाख पार, मनाया जश्न

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

देश में 100 करोड़ टीके लगाए जाने का जश्न मनाया जा रहा है, तो जिले में भी टीकाकरण दस लाख के पार हो चुका है। अभी तक 11 लाख 39 हजार 361 लोगों को टीके लग चुके हैं। इनमें आठ लाख 21 हजार 803 लोगों को पहली और तीन लाख 17 हजार 558 को दूसरी डोज लग चुकी है। टीकाकरण दस लाख के पार होने व देश में 100 करोड़ टीके लगाए जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जश्न मनाया। 150 गांव ऐसे हैं। जहां पर शत प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। वीरवार को सेक्टर 17 डिस्पेंसरी को सजाया गया। यहां पर रंग बिरंगे गुब्बारे लगाए गए। सिविल सर्जन डा. विजय दहिया यहां पर पहुंचे और उन्होंने स्टाफ को बधाई दी। सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने कहा कि लगातार टीकाकरण चल रहा है। अब डोज की कोई किल्लत नहीं है। इसलिए रोजाना भरपूर केंद्र बनाए जा रहे हैं। लक्ष्य लगभग पूरा हो चुका है। अब दूसरी डोज पर स्वास्थ्य विभाग का जोर है। इसके लिए लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मोबाइल वैन भी चलाई गई है। जिसके जरिए लोगों को दूसरा टीका लगवाने के लिए बुलाया जा रहा है। जिससे आबादी पूरी तरह से सुरक्षित हो जाए। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. विजय विवेक, उप सिविल सर्जन डा. बुलबुल, डा. विजय परमार, डा. राजेश परमार, डा. विपिन गोंदवाल व अन्य स्टाफ मौजूद रहा। यह स्थिति टीकाकरण की : कुल टीकाकरण - 11 लाख 39 हजार 361 पहली डोज - आठ लाख 21 हजार 803 दूसरी डोज - तीन लाख 17 हजार 558 60 प्लस - दो लाख नौ हजार 219 45 प्लस - दो लाख 80 हजार 485 18 प्लस - छह लाख 49 हजार 657 पुरुष लाभार्थी - छह लाख 16 हजार 551 महिला लाभार्थी - पांच लाख 22 हजार 633 कोवीशील्ड - 10 लाख 11 हजार 84 कोवैक्सीन - एक लाख 28 हजार 277 इस तरह से पहुंचे दस लाख पार : आठ अप्रैल 2021 - एक लाख। तीन अगस्त 2021 - पांच लाख। 17 सितंबर 2021 - दस लाख। दिन रात चलने वाले कैंप भी लगाए : स्वास्थ्य विभाग ने राधा स्वामी सत्संग व संत निरंकारी सत्संग भवन के सहयोग से दिन रात चलने वाले कैंप भी लगाए। तीन दिन तक दिन रात लगातार टीकाकरण किया गया। जिसमें लगभग 60 हजार लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन की डोज ली। इन कैंपों में पहली व दूसरी दोनों डोज लगाई गई थी। अस्पतालों के साथ-साथ समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से भी टीकाकरण शिविर लगाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से टीकाकरण अभियान में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है। कर्मचारियों ने जिम्मेदारी से निभाई ड्यूटी : फोटो 15 1. बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी गगन ने बताया कि सेक्टर 17 डिस्पेंसरी में उनकी टीकाकरण में ड्यूटी लगी हुई है। सबसे अधिक भीड़ भी इसी केंद्र पर होती है, क्योंकि यह पाश एरिया में आता है। कोशिश यही रही कि टीकाकरण के लिए आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी न हो। कई बार ऐसा भी हुआ कि दिन में 500-500 तक टीकाकरण हुआ। इंजेक्शन लगाते हुए हाथ तक दर्द करने लगता था। इसके बावजूद कोरोना से बचाव में ड्यूटी करने का जूनून था। -------------------- फोटो 16 2. एएनएम अंजू का कहना है कि उनकी जनवरी माह में ही टीकाकरण में ड्यूटी लग गई थी। हमेशा टीकाकरण को लेकर मारामारी रहती थी। ऐसे में खुद का भी बचाव रखना होता था और पात्रों का भी टीकाकरण करना होता था। बीच में अप्वाइंटमेंट की भी शर्त रही थी। उस दौरान काफी भीड़ होती थी। कई बार तो सुबह नौ बजे से लेकर शाम छह तक तक टीकाकरण चलता रहता था। खाने तक की फुर्सत नहीं मिलती थी। छुट्टी के दिन भी टीकाकरण में ड्यूटी रही। हमेशा जिम्मेदारी से यह ड्यूटी निभाई। चौथे चरण में पकड़ी टीकाकरण ने रफ्तार : 16 जनवरी को जिले में टीकाकरण की शुरूआत हुई। शुरूआत में महज पांच केंद्र ही बनाए गए। इसमें भी केवल हेल्थ वर्करों का टीकाकरण हुआ। इसके बाद फ्रंटलाइन वर्करों का टीकाकरण हुआ। बाद में 60 प्लस वालों का टीकाकरण शुरू हुआ। इस दौरान टीकाकरण कम गति से चला। केंद्र भी रोजाना नहीं लगते थे। यही वजह रही कि एक लाख तक पहुंचने में तीन माह लग गए। टीकाकरण ने रफ्तार उस समय पकड़ी। जब 45 प्लस व 18 प्लस के लिए अनुमति मिली। टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ लगने लगी। भीड़ इस कदर रही कि केंद्र कम पड़ने लगे।

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