जिले के पांच साहित्यकारों को साहित्य सम्मान की घोषणा

सरकार ने साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पुरस्कारों का एलान किया है। इनमें पांच पुरस्कार शहर के साहित्यकारों के हिस्से में आए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 10:54 PM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 10:54 PM (IST)
जिले के पांच साहित्यकारों को साहित्य सम्मान की घोषणा
जिले के पांच साहित्यकारों को साहित्य सम्मान की घोषणा

जागरण संवाददाता, सोनीपत : सरकार ने साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पुरस्कारों का एलान किया है। इनमें पांच पुरस्कार शहर के साहित्यकारों के हिस्से में आए हैं। इससे साहित्य जगत में खुशी का माहौल है। इनमें डा. संतराम देशवाल, डा. अशोक बत्रा, डा. कमलेश मलिक, डा. राजेंद्र सिंह बड़गूजर और डा. ज्योति को सम्मान से नवाजा जाएगा। डा. संतराम देशवाल को महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार

सीआरए कालेज से बतौर हिदी के एसोसिएट प्रोफेसर सेवानिवृत्त हुए डा. संतराम देशवाल को इससे पहले जनकवि मेहर सिंह पुरस्कार-2014 से नवाजा जा चुका है। उनकी ललित निबंध लोक-आलोक और कविता संग्रह अनकहे दर्द भी साहित्य अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में पुरस्कृत हो चुकी हैं। अब हरियाणा साहित्य अकादमी ने उनका महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। इस पुरस्कार के लिए अकादमी की ओर से उन्हें पांच लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। डा. देशवाल को सर्वोत्तम पत्रकारिता सम्मान, लोक शिरोमणि सम्मान, बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, हिदी सहस्त्राब्दी सम्मान, काव्य कलश सम्मान, सोनीपत रत्न सम्मान आदि मिल चुका है। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है और साहित्य अकादमी की हरिगंधा नामक प्रतिष्ठित पत्रिका का अतिथि संपादक रह चुके हैं। अपनी इस उपलब्धि का श्रेय डा. देशवाल ने मेहनत, बहुपठन के साथ-साथ गुरुजनों, बुजुर्गों, पूर्वजों के साथ साथ अपनी जीवन संगिनी डा. राजकला देशवाल को दिया। डा. अशोक बत्रा को आदित्य अल्हड़ हास्य पुरस्कार

राष्ट्रीय कवि संगल के राष्ट्रीय महामंत्री डा. अशोक बत्रा हिदू कालेज के प्राचार्य रह चुके हैं। प्रेरणापुंज विवेकानंद नामक पुस्तक पर देशभर में 21 फरवरी को आनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हो रही है। आजकल वह श्रीराम वनगमन पथ काव्ययात्रा के आयोजन में लगे हैं। हिदी व्याकरण पर उन्होंने पांच पुस्तकें लिखी, इन पुस्तकों पर 2005-06 का सर्वश्रेष्ठ लेखक सम्मान मिला था। उन्होंने हिदी समीक्षा पर तीन पुस्तकें, सन सत्तावन और तेजपुंज विवेकानंद पुस्तकें (राष्ट्रीय प्रतियोगिता हेतु) लिखी, हिदी की 25 पाठ्य पुस्तकें और सहायक पुस्तकें लिख चुके हैं। डा. अशोक टीवी शो वाह वाह क्या बात है में दो बार काव्यपाठ कर चुके हैं। वह दिनकर काव्यपाठ प्रतियोगिता, रामायण-महाभारत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, विवेकानंद प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता, कहानी और कविता पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन करा चुके हैं। डा. कमलेश मलिक श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान

डा. कमलेश मलिक टीकाराम ग‌र्ल्स कालेज की सेवानिवृत्त प्राचार्य को श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान के लिए चुना गया है। वह अपने कार्यकाल में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण गतिविधियों में सक्रिय रही हैं। वह छह वर्षों तक दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मुरथल में वूमेन सेल की सदस्य रहीं। वह भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर में 3 वर्ष तक एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मेंबर भी रही हैं। डा. कमलेश मलिक की पुस्तक शंकराचार्य एवं हरियाणा का संत साहित्य और चक्रव्यूह, सिर्फ अपने लिए, एक मोर्चा, जैसे कई कहानी संग्रह तथा संवेदना के स्वर व शब्दों का सिलसिला जैसे कई कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। आकाशवाणी रोहतक से कहानी वार्ता एवं कवि गोष्ठियों में उनकी सहभागिता रही है। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सिर्फ अपने लिए कहानी संग्रह को 2010 में एवं एक मोर्चा और को 2018 के श्रेष्ठ कृति के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। कई कहानियों को भी पुरस्कृत किया गया है। एनआइसी दिल्ली द्वारा एमिनेंट सिटीजन अवार्ड, दैनिक जागरण द्वारा उत्तम नागरिक सम्मान, प्रज्ञा साहित्य मंच, साहित्य सभा कैथल, साहित्यायन ग्वालियर, साहित्य आगमन समूह नोएडा तथा रोटरी क्लब सोनीपत जैसी अनेक साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। डा. मलिक अंतरराष्ट्रीय समाज सेवा संस्था इनरव्हील के विभिन्न पदों पर रहते हुए गरीब लड़कियों को शिक्षित करने एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वे अदबी संगम एवं महिला काव्य मंच जैसी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े रहकर नारी लेखन को प्रोत्साहित कर रही हैं। डा. राजेंद्र बड़गूजर को जनकवि मेहर सिंह पुरस्कार

गांव मलिकपुर के रहने वाले युवा साहित्यकार राजेंद्र सिंह बड़गूजर को हरियाणा साहित्य अकादमी के वर्ष-2019 का जनकवि मेहर सिंह पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें पुरस्कार के तहत दो लाख रुपये और प्रशस्तिपत्र दिया जाएगा। यह पुरस्कार हरियाणवी लोक साहित्य के संकलन, संपादन और संव‌र्द्धन के लिए दिया जाता है। राजेंद्र बड़गूजर पिछले 12 वर्षों से हरियाणा के लोक साहित्य के अध्येता बनकर उभरे हैं। उन्होंने विभिन्न गुमनाम लोककवियों की रचनाओं को संपादित किया है और उन्हें मुख्यधारा में लेकर आए हैं। हरियाणा के लोक साहित्य पर इनकी 22 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा उनकी चार कविता व दो कहानी संकलन भी प्रकाशित हैं। फिलहाल पांच पुस्तकें आलोचना पर हैं। इनके साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी के शोध कार्य हो रहे हैं। वे वर्तमान में बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में बतौर हिदी विभाग के अध्यक्ष एवं मानविकी एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता कार्यरत हैं। उन्होंने हरियाणा में छाप काटकर गाने वालों का भी संज्ञान लिया है। इस उद्देश्य से उनकी छापकटैया पुस्तक भी अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है, जो हरियाणा पर्याप्त चर्चा का विषय रही है। इनके अलावा सोनीपत की रहने वाली डा. ज्योति को स्वामी विवेकानंद स्वर्ण जयंती युवा लेखक सम्मान से नवाजा जाएगा।

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