टायकाथन के तहत खिलौने डिजाइन करेगा व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन

भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के मद्देनजर टायकोथान के तहत आधुनिक खिलौनों को डिजाइन करने का काम सोनीपत की व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन ने शुरू किया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 10:14 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 10:14 PM (IST)
टायकाथन के तहत खिलौने डिजाइन करेगा व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन
टायकाथन के तहत खिलौने डिजाइन करेगा व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन

जागरण संवाददाता, सोनीपत : भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के मद्देनजर टायकोथान के तहत आधुनिक खिलौनों को डिजाइन करने का काम सोनीपत की व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन ने शुरू किया है। बुधवार को राजीव गांधी एजूकेशन सिटी में व‌र्ल्ड यूनिवर्सिटी आफ डिजाइन के कुलपति डा. संजय गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह जानकारी दी।

कुलपति डा. गुप्ता ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भारत सरकार ने टायकाथन के तहत खिलौना डिजाइन करने के लिए आमंत्रित किया था। यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इस पर काम किया और इसके अंतिम राउंड में प्रवेश प्राप्त कर लिया है। उनके द्वारा डिजाइन खिलौने की खूब तारीफ भी हो रही है। उन्होंने बताया कि तीन वर्ष पहले ही यूनिवर्सिटी शुरू हुई है। इसके बावजूद कई डिजाइनों के मामले में यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं। यूनिवर्सिटी में हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कोर्स भी शुरू किया गया है। मास्क लगाने पर चश्में पर नहीं जमेगा वाष्प :

कुलपति डा. गुप्ता ने बताया कि यूनिवर्सिटी के छात्रों व फैकल्टी ने एक विशेष प्रकार का मास्क भी डिजाइन किया है, जिसे लगाने के बाद चश्मे पर वाष्प नहीं जमेगा। इसके अलावा कोरोना के शुरुआती दौर में पीपीई किट की डिमांड बढ़ी तो यूनिवर्सिटी के फैकल्टी व छात्रों ने दिनरात काम करते हुए आधुनिक पीपीई किट डिजाइन की और इसे देश विभिन्न कंपनियों में भेजा गया। पीपीई किट का डिजाइन बेहद सुरक्षित और सुविधाजनक था, जिसकी काफी सराहना भी की गई थी। कंगारू मदर केयर की तरह बनाई जैकेट बनाई

यूनिवर्सिटी ने कंगारू मदर केयर की तरह बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य रखने के लिए माताओं के लिए जैकेट भी डिजाइन किया है। इसे पहनकर मां उसमें बच्चा रखकर अपना काम भी कर सकती है। जैकेट में होने के बाद भी बच्चे को मां के शरीर से पूरा तापमान मिलता रहेगा। इससे नवजात को कंगारू मदर केयर यूनिट में रखने की आवश्यकता नहीं होगी। कुलपति डा. गुप्ता ने बताया कि इसके लिए ही मिनिस्ट्री आफ बायोटेक्नोलाजी से पुरस्कार भी मिला है।

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