निगरानी में झोल का फायदा उठा रहे माफिया

उर्वरक की किल्लत को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है। उपायुक्त खुद उर्वरक वितरण पर नजर रख रहे हैं। मुख्यमंत्री उर्वरक के वितरण और व्यवस्था पर वीडियो कांफ्रेंस कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 08:10 PM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 08:10 PM (IST)
निगरानी में झोल का फायदा उठा रहे माफिया
निगरानी में झोल का फायदा उठा रहे माफिया

जागरण संवाददाता, सोनीपत : उर्वरक को लेकर मारामारी मची है, लेकिन माफिया मनमाने तरीके से बाजार से उर्वरक को उठा रहे हैं। यह उर्वरक एक ओर जहां किसानों को ब्लैक में बेचा जा रहा है, वहीं कंपनियों को भी सप्लाई किया जा रहा है। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। माफिया के पास बिना मार्का वाली बोरियों में भी यूरिया भरा पाया गया है। माना जा रहा है कि बाजार से उर्वरक उठाकर उसको प्लेन बोरों में पैक कर लिया जाता था, जिससे वह पकड़ में नहीं आ सकें। कृषि विभाग के साथ ही अब पुलिस ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है।

उर्वरक की हो रही कड़ी निगरानी :

उर्वरक की किल्लत को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है। उपायुक्त खुद उर्वरक वितरण पर नजर रख रहे हैं। मुख्यमंत्री उर्वरक के वितरण और व्यवस्था पर वीडियो कांफ्रेंस कर चुके हैं। बिना बायोमेट्रिक के किसी को उर्वरक नहीं दिया जा रहा है। वहीं बीस से ज्यादा बोरा उर्वरक लेने वाले किसानों के यहां जाकर अफसरों को खेतों का भौतिक सत्यापन करना होता है। किसी भी हाल में 50 से ज्यादा बोरा उर्वरक किसी को नहीं दिया जा सकता है।

निगरानी हुई फेल :

उर्वरक माफिया ने अधिकारियों की निगरानी को फेल कर दिया है। सबौली में गोदाम में पकड़े गए यूरिया के 1158 बोरों में से 120 बोरे शुक्रवार को ही पहुंचे थे। वह ट्राली में भी से उतारे भी नहीं गए थे। सीएम फ्लाइंग, पुलिस और कृषि विभाग की छापामारी के दौरान यह ट्राली में ही भरे खड़े थे। आरोपित नारायण सिंह और उसके बेटे संदीप ने बताया कि वह यूरिया को सोनीपत के बड़े दुकानदारों सिंह ट्रेडिग कंपनी कालूपुर चुंगी और गोयल खाद भंडार पुरानी मंडी से लेकर आए हैं। इस उर्वरक को औद्योगिक क्षेत्र में कपूर फैक्ट्री और पप्पू जैन की फैक्ट्री को सप्लाई करना था।

बिना मार्का के बोरों में भी मिला उर्वरक :

आरोपित पिता पुत्रों के पास से 66 बोरा यूरिया ऐसा मिला है, जिस पर कोई मार्का ही नहीं था। आरोपितों ने बताया कि वह बाजार से यूरिया लाने के बाद उसको बिना नंबर के बोरों में भरवा लेते हैं। उसके तत्काल बाद इसका पाउडर बनवा लिया जाता है, जिससे पकड़ में आने की गुंजाइश ही ना रहे। पाउडर बनने के बाद इसको कोई टीम नहीं पकड़ पाती है। पुलिस के अनुसार वे करीब पांच साल से यूरिया का अवैध धंधा कर रहे हैं।

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जिन दुकानदारों से यूरिया लेने की बात कही गई है, उनका स्टाक रजिस्टर और बायोमीट्रिक मशीन की जांच की जाएगी। आरोपितों के यहां लगे सीसीटीवी की फुटेज की जांच भी की जाएगी। यदि दुकानों से किसानों के नाम पर ज्यादा संख्या में यूरिया वितरित दिखाया गया है तो किसानों से जानकारी प्राप्त की जाएगी। विभाग दोनों आरोपितों के लाइसेंस केंसिल करने की तैयारी कर रहा है।

- राकेश हुड्डा, क्वालिटी कंट्रोल इंचार्ज, कृषि विभाग।

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