अवैध रूप से चल रही रसगुल्लों की फैक्ट्री पकड़ी

फैक्ट्री राई गांव के संदीप कुमार की थी। यहां रसगुल्लों को प्लास्टिक के ड्रमों में भर लिया गया था। जांच में पाया गया कि कुछ ड्रमों में भरे रसगुल्लों से दुर्गंध आ रही हैं। फैक्ट्री से रसगुल्ला बनाने में प्रयुक्त की जा रही सामग्री के भी सैंपल लिए गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 07:59 PM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 07:59 PM (IST)
अवैध रूप से चल रही रसगुल्लों की फैक्ट्री पकड़ी
अवैध रूप से चल रही रसगुल्लों की फैक्ट्री पकड़ी

संवाद सहयोगी, राई : सीएम फ्लाइंग, पुलिस और खाद्य व औषधि प्रशासन की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर राई गांव में अवैध रूप से चल रही रसगुल्ला बनाने की फैक्ट्री पकड़ी। फैक्ट्री में 35 क्विंटल रसगुल्ला तैयार मिला, जिसमें से पांच क्विंटल खाने योग्य नहीं था। टीम ने खराब रसगुल्लों को जमीन में दबवाकर नष्ट करा दिया है और बचे 30 क्विंटल रसगुल्लों के सैंपल लेकर जांच को भेजे गए हैं। फैक्ट्री में मिले एक क्विंटल दूध को भी नष्ट कराया गया है। वहीं आरोपित को लाइसेंस प्रस्तुत करने को नोटिस जारी किया गया है।

सीएम फ्लाइंग की रोहतक से आई टीम के प्रभारी एसआइ कृष्ण कुमार खत्री ने बताया कि उनको राई गांव में गंदगी में और मानकों को ताख पर रखकर रसगुल्ला बनाने की सूचना मिली थी। उसके आधार पर पुलिस और खाद्य व औषधि प्रशासन की टीम के साथ छापामारी की गई। फैक्ट्री राई गांव के संदीप कुमार की थी। यहां रसगुल्लों को प्लास्टिक के ड्रमों में भर लिया गया था। जांच में पाया गया कि कुछ ड्रमों में भरे रसगुल्लों से दुर्गंध आ रही हैं। फैक्ट्री से रसगुल्ला बनाने में प्रयुक्त की जा रही सामग्री के भी सैंपल लिए गए हैं। एक क्विटल दूध जो नष्ट कराया गया उसमें बड़ी संख्या में मक्खी और चींटियां मरी हुई थीं।

सौ रुपये किलो में बिक्री होता था रसगुल्ला :

जांच टीम के अनुसार संदीप ने बताया कि वह रसगुल्लों को बनाकर दुकानदारों को सप्लाई करता है। वह जिले के कई बड़े दुकानदारों को भी अपने रसगुल्ला पहुंचाता है। उसको दीपावली पर करीब 80 क्विंटल रसगुल्ला की सप्लाई देनी है। उसके चलते दिन रात काम चल रहा था। वह दुकानदारों को रसगुल्ला सौ रुपये किलो सप्लाई करता है। बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से रसगुल्ला बनाने की फैक्ट्री चला रहा है। उसके पास न तो कोई लाइसेंस है और न ही आज तक किसी ने चेक किया है। हालांकि अफसरों का कहना है कि वह दो महीने से रसगुल्ला बना रहा था।

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जो रसगुल्ला खाने के योग्य नहीं था, उसको नष्ट करा दिया गया है। बाकी बचे रसगुल्लों के सैंपल जांच को भेजे गए हैं। वहीं लाइसेंस नहीं होने के चलते उसको नोटिस जारी किया गया है। आरोपित के लाइसेंस प्रस्तुत नहीं करने और सैंपल की रिपोर्ट फेल आने पर कार्रवाई की जाएगी।

- वीरेंद्र सिंह गहलावत, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी।

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