प्रापर्टी सर्वे करने वाली एजेंसी पर नगर निगम के अधिकारी मेहरबान
नगर निगम हाउस की बैठक में पार्षदों ने निगम अफसरों पर ठेकेदारों से मिलीभगत के आरोप यूं ही नहीं लगाए हैं। ऐसे कई मामले हैं जो इन आरोपों को बल देते हैं। निगम अफसरों की मेहरबानी सर्वे एजेंसी पर भी साफ झलक रही है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : नगर निगम हाउस की बैठक में पार्षदों ने निगम अफसरों पर ठेकेदारों से मिलीभगत के आरोप यूं ही नहीं लगाए हैं। ऐसे कई मामले हैं जो इन आरोपों को बल देते हैं। निगम अफसरों की मेहरबानी सर्वे एजेंसी पर भी साफ झलक रही है। सर्वे एजेंसी पर निगम अफसर खासे मेहरबान नजर आते हैं। शहर के प्रापर्टी सर्वे के लिए जयपुर की जिस याशी कंसल्टेंसी कंपनी को ठेका दिया था, वह तय समय खत्म होने के दो साल बाद भी सर्वे पूरा नहीं कर पा रही है। एजेंसी पर कोई कार्रवाई करने के बावजूद अफसर मौके पर मौके दिए जा रहे हैं। लेट-लतीफी का खामियाजा शहरवासियों के साथ नगर निगम भी भुगत रहा है, लेकिन कुछ अफसरों की मेहरबानी एजेंसी को बचा रही है। सर्वे के नाम पर सरकारी खजाने की बंदर बांट
चार साल पहले नगर निगम ने 1.52 करोड़ रुपये खर्च कर मैप माय इंडिया एजेंसी से ज्योग्राफिकल इनफारमेशन सिस्टम (जीआइए) पर आधारित सर्वे कराया था। उस वक्त निगम अधिकारियों का दावा था कि भविष्य में टैक्स प्रक्रिया पूरी तरह से आनलाइन होगी। नगर निगम एरिया की हर प्रापर्टी की एक यूनिक आइडी बनेगी। एक क्लिक से पूरी आइडी का बायोडाटा निकल आएगा। बावजूद कुछ समय बाद फिर से एक अन्य एजेंसी को प्रदेश स्तर पर सर्वे का ठेका दिया गया। अगर तकनीकी पहलू से देखा जाए तो पहले व अब नए सिरे से होने वाले सर्वे में ज्यादा अंतर नहीं है। बार-बार सर्वे के नाम पर यूं सरकारी खजाने को लुटाना कहीं न कहीं बड़े खेल की ओर इशारा कर रहा है। दो साल पहले खत्म हो चुकी है आखिरी डेटलाइन
टेंडर जारी करते वक्त रखी गई सर्वे की अवधि 31 मार्च, 2019 को खत्म हो चुकी है। वहीं, तय अवधि खत्म होने के दो साल बाद तक कंपनी सर्वे पूरा नहीं कर पाई है। नगर निगम अधिकारियों की मानें तो एजेंसी सर्वे करने के लिए अब तक कर्मचारी तक नियुक्त नहीं कर पाई है। ऐसे में सर्वे को लेकर देरी हो रही है। वहीं, एजेंसी के प्रतिनिधि जल्द ही सर्वे पूरा कर नगर निगम को सौंपने का दावा कर रहे हैं। हालांकि धरातल पर काम देखे तो यह दावा महज खोखला ही दिखाई दे रहा है। अफसर-एजेंसी के खेल में शहरवासी हलकान
सर्वे कंपनी व नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही आमजन पर भारी पड़ रही है। सर्वे न होने के कारण फिलहाल प्रापर्टी टैक्स भरने का काम रुका हुआ है। पुराने रिकार्ड के अनुसार टैक्स लिया नहीं जा रहा, जिसके चलते शहरवासी टैक्स अदा नहीं कर पा रहे। इस कारण टैक्स क्लियर न होने की वजह से रजिस्ट्री, राजस्व व अन्य प्रमाण-पत्र बनवाने में दिक्कत आ रही है।
सर्वे कर रही एजेंसी को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। तीन दिन पहले एजेंसी के प्रतिनिधियों से फीडबैक भी लिया गया है। जल्द ही सर्वे पूर करने की बात प्रतिनिधियों की ओर से कही गई है। लेटलतीफी को लेकर मुख्यालय को पहले ही सूची किया जा चुका है।
- सुभाषचंद्र, संयुक्त आयुक्त, नगर निगम।