Sonipat Three Death: पिंकी को खुद के जिंदा बच जाने का मलाल, रो-रोकर हुआ बुरा हाल

चार सदस्यों के परिवार में एक मात्र बची पिंकी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह अपने चाचा नरेश और कप्तान सिंह से लिपटकर बार-बार यही कह रही थी कि पता नहीं मैं अपनी जगह से क्यों नहीं हिल सकी? वह माता-पिता व भाई की मौत की चश्मदीद है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:47 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 09:47 PM (IST)
Sonipat Three Death: पिंकी को खुद के जिंदा बच जाने का मलाल, रो-रोकर हुआ बुरा हाल
परिवार में दो दिन से चल रहा था पति-पत्नी में विवाद।

सोनीपत [डीपी आर्य]। वेस्ट रामनगर में रह रहे गादीराम का हंसता-खेलता परिवार पलक झपकते ही काल के गाल में शमा गया। चार सदस्यों के परिवार में एक मात्र बची पिंकी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह अपने चाचा नरेश और कप्तान सिंह से लिपटकर बार-बार यही कह रही थी कि पता नहीं मैं अपनी जगह से क्यों नहीं हिल सकी? वह माता-पिता व भाई की मौत की चश्मदीद है।

जीआरपी को पिंकी ने बताया कि घर पर दो दिन से विवाद था, लेकिन दोपहर में सब ठीक था। पापा व मम्मी आपस में बात कर रहे थे। इसके बाद पापा गादीराम बोले चलो जरूरी काम से चलना है। पापा उसे, मां सुनीता व भाई शुभम 12 वर्ष को बाइक पर बैठाकर चल पड़े। रास्ते में वह कुछ नहीं बोले। इसके बाद बाइक लेकर वह जाहरी फाटक वाले रास्ते पर चल पड़े। कुछ दूर चलने पर बाइक रोक दी। पापा ने कहा तुम यहीं रुको। भाई शुभम व उसे वहीं खड़ा करके दोनों रेलवे लाइन की तरफ चले गए। पापा-मम्मी आपस में बात कर रहे थे।

शुभम और पिंकी बाइक के पास खड़े थे। ट्रेन आई तो पापा जाहरी फाटक के पास पटरी पर दौड़ पड़े। उनके पीछे मम्मी भी दौड़कर ट्रैक पर पहुंच गईं। यह सब होता वह देख रही थी, लेकिन पता नहीं क्यों अपनी जगह से हिल न सकी? पापा व मम्मी को ट्रेन की तरफ दौड़ता देख भाई शुभम भागा। पापा व मम्मी ट्रेन से कट गए। उन्हें बचाते हुए भाई शुभम भी ट्रेन से टकराया और तीनों की मौत हो गई।

गादीराम के परिवार के लोगों ने बताया कि वह हर छोटी-बड़ी बात को घर पर बताता था। लगभग रोजाना बात होती थी। कई बार तनाव में होता तो सीधा गांव आ जाता था। भाभी सुनीता भी परिवार के लोगों के संपर्क में रहती थी। ऐसी क्या बात थी, जिससे पूरा परिवार खत्म हो गया एवं किसी को उसके बारे में बताया तक नहीं। जीवनभर यह गम परेशान करेगा। वेस्ट रामनगर और उनके गांव बिलबिलयान में लोग जुटे हैं। किसी को भरोसा ही नहीं हो रहा है कि हंसता-खेलता परिवार यों खत्म हो गया।

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