Farmers Protest: भारत बंद को सफल बनाने की जुगत, भीड़ जुटाने के लिए राकेश टिकैत ने अब किया ये काम

कुंडली बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से शनिवार को कबड्डी महाकुंभ की शुरुआत हुई। शनिवार को सात मैच खेले गए। इनमें से कई मुकाबले बेहद रोमांचक रहे। भाकियू नेता राकेश टिकैत व मोर्चे के अन्य नेताओं ने भी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 09:11 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 12:31 AM (IST)
Farmers Protest: भारत बंद को सफल बनाने की जुगत, भीड़ जुटाने के लिए राकेश टिकैत ने अब किया ये काम
राकेश टिकैत ने खुद मंच से कई बार माइक से मैच की कमेंट्री की।

सोनीपत [नंद किशोर भारद्वाज]। कुंडली बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से शनिवार को कबड्डी महाकुंभ की शुरुआत हुई। शनिवार को सात मैच खेले गए। इनमें से कई मुकाबले बेहद रोमांचक रहे। भाकियू नेता राकेश टिकैत व मोर्चे के अन्य नेताओं ने भी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान राकेश टिकैत ने लाइव कमेंट्री की। फाइनल मुकाबला रविवार को होगा।

भीड़ जुटाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने किया आयोजन

27 सितंबर को प्रस्तावित भारत बंद के मद्देनजर कुंडली बार्डर पर भीड़ जुटाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने कबड्डी महाकुंभ का आयोजन किया गया है। बार्डर से सटे पारकर माल के पास शनिवार को न्यूजीलैंड, पंजाब, हरियाणा व अन्य कई टीमों के बीच मैच खेले गए। मैच देखने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोग मौजूद रहे।

राकेश टिकैत ने खुद की मैच की कमेंट्री

राकेश टिकैत ने खुद मंच से कई बार माइक से मैच की कमेंट्री की। उन्होंने कहा कि किसानों के बच्चों की बदौलत ही भारत ओलिंपिक में कई मेडल जीतने में कामयाब रहा। रविवार को विजेता को पांच लाख, उपविजेता को तीन लाख, तीसरे नंबर पर आने वाली टीम को दो लाख, चौथा स्थान पाने वाली टीम को 1.5 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा बेस्ट कैचर व बेस्ट रेडर को एक-एक बुलेट मोटरसाइकिल दी जाएगी।

बता दें कि किसान आंदोलन दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में किसान अपनी मांग पर अड़े हैं कि केंद्र सरकार नए कृषि कानून को समाप्त करे। वहीं सरकार ने यह साफ कर दिया है कि किसानों की मांग को लंबे समय तक के लिए नहीं माना जा सकता है इसे कुछ समय के लिए जरूर ठंडे बस्ते में डालने पर सरकार ने रजामंदी दी थी। हालांकि किसानों ने इसे सिरे से नकार दिया है। इसके बाद से सरकार एवं किसानों की वार्ता बंद है जिससे यह आंदोलन लंबा खिंचता नजर आ रहा है।

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