किसान आंदोलन के कारण सोनीपत के लोग दिल्ली जाने के लिए रोजाना बर्बाद कर रहे पांच लाख का ईंधन

एक यात्रा करने वाले शख्स ने बताया कि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कनाट प्लेस में काम करता हूं। जबसे यह आंदोलन चल रहा है दिल्ली आना दूभर हो गया है। पहले जहांगीरपुरी मेट्रो स्टेशन तक का किराया सवारी ढोने वाले वाहन 30 रुपये लेते थे अब 120 रुपये ले रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 18 Mar 2021 12:49 PM (IST) Updated:Thu, 18 Mar 2021 12:49 PM (IST)
किसान आंदोलन के कारण सोनीपत के लोग दिल्ली जाने के लिए रोजाना बर्बाद कर रहे पांच लाख का ईंधन
आंदोलन के कारण 10 से 20 किलोमीटर का हो रहा अतिरिक्त सफर

सोनीपत [संजय निधि]। कृषि कानून विरोधी आंदोलन का असर आम लोगों की जेब पर पड़ने लगा है। आंदोलन के कारण पिछले 110 दिनों से कुंडली बार्डर पर जीटी रोड जाम है और इसके कारण दिल्ली आने वाले सोनीपत के लोगों को रोजाना 10 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है। इससे ईंधन के साथ-साथ समय और धन की भी बर्बादी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक इस आंदोलन के कारण रोजाना सोनीपत के लोगों का पांच लाख रुपये से अधिक का ईंधन बर्बाद हो रहा है। आंदोलन के 110 दिनों में सोनीपत के लोग करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये का अतिरिक्त ईंधन फूंक चुके हैं।

रोजाना 50 से 60 हजार लोग करते हैं दिल्ली आवागमन

एक अनुमान के मुताबिक सोनीपत से रोजाना 50 से 60 हजार लोग दिल्ली आवागमन करते हैं। लाकडाउन से पहले ट्रेनों से जाने वाले दैनिक यात्री, जिनके मासिक पास बने हुए थे, वहीं, 30-35 हजार के करीब थे। इसके अलावा बसें, कैब और अपने वाहनों से भी सैकड़ों लोग रोजाना दिल्ली आवागमन करते हैं। ट्रेनें बंद होने के कारण ये लोग फिलहाल सड़क मार्ग से ही दिल्ली आवागमन करते हैं और इसके लिए सोनीपत से रोजाना कम से कम 10 हजार गाड़ियां दिल्ली के मेट्रो स्टेशन, बस अड्डा सहित विभिन्न बाजारों में आती हैं। कुंडली बार्डर बंद होने के कारण इन वाहनों को नाहरा-नाहरी या खरखौदा होकर दिल्ली आना पड़ रहा है।

बढ़ गया ईंधन का खर्चा

यात्रा की दूरी बढ़ने के कारण ईंधन का खर्चा बढ़ गया है। यही नहीं, ग्रामीण व संकरे रास्ते होने के कारण भी ईंधन की खपत ज्यादा हो रही है। पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों में करीब 200 रुपये का अतिरिक्त खर्च रोजाना हो रहा है, जबकि सीएनजी की गाड़ियों में भी 100 से 150 रुपये का अतिरक्त खर्च ईंधन के मद में करना पड़ रहा है। दिल्ली के खारी-बावली बाजार आने वाले राई के पवन ने बताया कि पहले 150 रुपये की सीएनजी से दिल्ली का सफर तय हो जाता था, लेकिन इस आंदोलन के कारण 300 से 310 रुपये की गैस खर्च होती है।

बड़ी गाड़ियों को ज्यादा मुसीबत

राई, कुंडली, बड़ी आदि औद्योगिक क्षेत्र में आने-जाने वाली बड़ी गाड़ियों का खर्च तो और बढ़ गया है। इन गाड़ियों को केजीपी (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) एक्सप्रेस-वे के रास्ते बागपत होकर दिल्ली आना पड़ता है, जिसके कारण 40 से 50 किलोमीटर का रास्ता करीब 100 किलोमीटर का हो गया है। इसमें लगभग पहले की तुलना में दोगुना ईंधन की खपत हो रही है।

क्या कहते हैं लोग

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी, कनाट प्लेस में काम करता हूं। जबसे यह आंदोलन चल रहा है, दिल्ली आना दूभर हो गया है। पहले जहांगीरपुरी मेट्रो स्टेशन तक का किराया सवारी ढोने वाले वाहन 30 रुपये लेते थे, अब वे 100 से 120 रुपये प्रति सवारी किराया लेते हैं। सैलरी का अधिकांश हिस्सा इस किराये में ही चला जाता है। इस आंदोलन के कारण दिल्ली में नौकरी करना कठिन ही नहीं, बल्कि महंगा भी हो गया है।

सचिन कुमर, दैनिक यात्री

आजादपुर जाने के लिए गाड़ी में मात्र 30 मिनट का समय लगता था, जोकि अब डेढ़ घंटे का समय लगता है। अब पहले खरखौदा से लामपुर बार्डर से नरेला के रास्ते दिल्ली आना पड़ता है। पेट्रोल भी पहले के मुकाबले दोगुना खर्च हो रहा है और समय भी। शहर और कस्बे की अंदरुनी सड़क होने के कारण इस पर लगने वाले जाम के कारण मानसिक परेशानी अलग से ङोलनी पड़ रही है।

मनोज शर्मा, दैनिक यात्री

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