Baroda By-Elections 2020: अब खिलाड़ियों के गांवों से निकल रहे हैं नेता, इन गांवों के दो दिग्गज चुनावी मैदान में

योगेश्वर दत्त ने 2012 में लंदन ओलंपिक में जब पदक जीतकर तिरंगा लहराया था तब उनका पैतृक गांव भैंसवाल कलां खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था। इससे पहले भी भैंसवाल कलां पहलवानों के गांव के रूप में जाना जाता था।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 08:24 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 08:24 PM (IST)
Baroda By-Elections 2020: अब खिलाड़ियों के गांवों से निकल रहे हैं नेता, इन गांवों के दो दिग्गज चुनावी मैदान में
गांव रिंढाना भी खेल और खिलाड़ियों के गांवों के रूप में जाना जाता है।

गोहाना (सोनीपत) [परमजीत सिंह]। क्षेत्र के जिन गांवों की मिट्टी से खिलाड़ी निकलकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं, अब उन्हीं गांवों से नेता निकलने लगे हैं। बरोदा उपचुनाव में भाजपा से ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त और कांग्रेस से इंदुराज नरवाल मैदान में हैं। दोनों प्रत्याशियों के गांवों की पहचान खेल और खिलाड़ियों से होती रही है लेकिन अब दोनों गांव राजनीति से भी चर्चा में आ गए हैं। वहीं गांव कथूरा निवासी नेता के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरने से कई दिन चुनावी माहौल गरमाया रहा। बाद यह कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में आ गए हैं।

योगेश्वर दत्त ने 2012 में लंदन ओलंपिक में जब पदक जीतकर तिरंगा लहराया था तब उनका पैतृक गांव भैंसवाल कलां खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था। इससे पहले भी भैंसवाल कलां पहलवानों के गांव के रूप में जाना जाता था। गांव में कई अच्छे पहलवान हैं जो विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुके हैं। योगेश्वर दत्त अब कुश्ती को छोड़कर राजनीति में आ चुके हैं। वे बरोदा हलका के उपचुनाव में दूसरी बार भाजपा की टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। गांव भैंसवाल कलां के ही जगबीर सिंह मलिक गोहाना हलका से लगातार चौथी बार विधायक हैं। इसी गांव के भूपेद्र मलिक ने बरोदा से जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था।

वहीं भैंसवाल कलां की तरह की गांव रिंढाना भी खेल और खिलाड़ियों के गांवों के रूप में जाना जाता है। इस गांव से दर्जनभर कबड्डी खिलाड़ियों ने नाम रोशन किया है। अब गांव रिंढाणा के इंदुराज नरवाल को कांग्रेस पार्टी ने मैदान में उतारा है। उधर गांव कथूरा भी कबड्डी के लिए जाना जाता है। इस गांव डा. कपूर सिंह नरवाल जैसे नेता निकले हैं। इसी तरह गांव मदीना भीखिलाड़ियों के लिए जाना जाता है। इस गांव की बेटी सोनम व अन्य खिलाड़ी कई पदक जीत चुके हैं। गांव बरोदा की सरिता मोर भी अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं।

गांव कथूरा के कबड्डी खिलाड़ी : गांव कथूरा के स्व. सत्तेराम, धर्मबीर, ओमप्रकाश, शमशेर उर्फ पप्पा, जगदीश, सोनू नरवाल, संदीप, सुरजीत, सहित कई खिलाड़ी कबड्डी में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। गांव में कबड्डी की चार अकादमी चल रही हैं जिनमें सैकड़ों युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं।गांव रिंढाना के

गांव रिंढ़ाना के कबड्डी खिलाड़ी

इस गांव से स्व. सुरेंद्र नरवाल, अंग्रेज, अनिल उर्फ मोटा, जोगेंद्र, प्रदीप, स्व. बारूराम, सुरजीत नरवाल, आजाद, अनिल व रामभज कबड्डी के चर्चित खिलाड़ी रहे हैं। इस गांव के कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। गांव में चार अकादमी चल रही हैं जहां रोजाना सैकड़ों युवा कबड्डी के गुरु सीख रहे हैं।

गांव भैंसवाल कलां के पहलवान

गांव से योगेश्वर दत्त, स्व. बलराज, अमित, प्रवीन उर्फ ढीला, मोनू उर्फ टाइगर, अमित उर्फ मीता, जयदीप उर्फ भोला, संदीप उर्फ नान्हा, स्व. संदीप उर्फ मोगली, प्रदीप उर्फ गुड्डू, संदीप प्रजापत, पवन, सोनू, अमित, हनुमान सहित कई पहलवानों ने देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है। गांव में चल रहे अखाड़े में कई पहलवान नियमित अभ्यास करते हैं।

कबड्डी कोच वजीर सिंह ने बताया कि गांव कथूरा व रिंढाणा की पहचान कबड्डी के खेल और खिलाड़ियों के कारण रही है। यहां के खिलाड़ियों ने कई बार देश और प्रदेश में अपने गांवों का नाम रोशन किया है। यह अच्छा है कि अब दोनों गांव से नेता भी निकलने लगे हैं।

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