मंदिर के निर्माण से होता है संस्कारों का निर्माण : गुप्तिसागर महाराज
श्री 108 गुप्तिसागर ने कहा कि मानव के चरित्र निर्माण एवं संस्कारों के बीजारोपण के लिए मंदिर उत्कृष्टतम आयतन है।
जागरण संवाददात, सोनीपत : राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर ने कहा कि मानव के चरित्र निर्माण एवं संस्कारों के बीजारोपण के लिए मंदिर उत्कृष्टतम आयतन है। इसलिए भव्य नीवात्माओं को सर्वप्रथम अत्यंत विनम्रतापूर्वक भव्य मंदिर का निर्माण करके इसमें इष्ट की स्थापना करनी चाहिए। वे शुक्रवार को मिशन रोड स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर परिसर में मुनिराज के 16वें तीर्थकर भगवान शांतिनाथ के भव्य जिनालय के दो वेदी तथा भगवान पार्श्वनाथ की एक वेदी निर्माण के शिलान्यास महोत्सव में बोल रहे थे।
गुप्तिसागर जी महाराज ने अपने प्रवचन से श्रद्धालुओं में भाव भरे और उन्हें समाज उत्थान के लिए मूल मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि हम अपने निवास के लिए भी बड़े-बड़े घर बनाते हैं, ऐसे में हमें भगवान के निवास स्थान को भी बड़ा बनाने में अपना योगदान करना चाहिए। विश्व हिदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री सुरेंद्र जैन ने युवा वर्ग का आह्वान किया कि वे निरंतर समाज को सु²ढ करने के लिए अपने दायित्व बोध का ईमानदारी से पालन करें। उन्होंने कहा कि गुप्तिसागर महाराज समता के वाहक हैं। उन्होंने धर्म के साथ-साथ मानव कल्याण का बीड़ा उठाया हुआ है, जो अनुकरणीय उदाहरण है। इस मौके पर पूर्व मंत्री कविता जैन ने कहा कि गुप्तिसागर महाराज द्वारा शाकाहार की अलख जगाई गई है, जो जैन धर्म संस्थापक भगवान महावीर जी के जीओ और जीने दो के संदेश की वाहक है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन, एडवोकेट एसके जैन, जगदीश प्रसाद जैन, शांता जैन, जयकुमार जैन आदि मौजूद रहे।