कोरोना के खिलाफ हथियार बनी वैक्सीनेशन, मेडिटेशन-व्यायाम से इम्युनिटी बूस्ट करके कोरोना से जीती तीन पीढि़यां

डबवाली वैक्सीनेशन ने कोरोना संक्रमण को फेफड़ों तक नहीं पहुंचने दिया। मेि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 05:50 AM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 05:50 AM (IST)
कोरोना के खिलाफ हथियार बनी वैक्सीनेशन, मेडिटेशन-व्यायाम से इम्युनिटी बूस्ट करके कोरोना से जीती तीन पीढि़यां
कोरोना के खिलाफ हथियार बनी वैक्सीनेशन, मेडिटेशन-व्यायाम से इम्युनिटी बूस्ट करके कोरोना से जीती तीन पीढि़यां

संवाद सहयोगी, डबवाली : वैक्सीनेशन ने कोरोना संक्रमण को फेफड़ों तक नहीं पहुंचने दिया। मेडिटेशन, व्यायाम ने इम्युनिटी बूस्टर का काम किया। एक-दूसरे का सहारा बनकर सिर्फ पॉजिटिव सोच रखी। इस तरह गांव गोरीवाला में रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी परिवार की तीन पीढि़यों ने एक साथ कोरोना को मात दी है। बात हो रही है स्वतंत्रता सेनानी रामप्रकाश सेठी (91) के परिवार की। 26 अप्रैल को रामप्रकाश सेठी, उनके बेटे डा. विनय सेठी, बहू डा. नीरजा सेठी कोरोना पॉजिटिव मिले थे। 29 अप्रैल को पोता डा. वरुण सेठी, सर्वेंट राहुल, बेटे के अस्पताल में सीनियर कंपाउडर गांव मसीतां निवासी संतोष, उसकी पत्नी रानी तथा उनके दो बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले। सीनियर कंपाउडर अपने घर पर बच्चों समेत आइसोलेट हो गया तो सेठी परिवार अपने घर पर। 29 अप्रैल तक दोस्त, भाई भोजन पहुंचाते रहे। लेकिन अन्य सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद खुद ही एक-दूसरे का सहारा बनने लगे। व्योवृद्ध की तबीयत ज्यादा खराब थी तो सिरसा में कहीं बेड उपलब्ध नहीं हुआ। ऐसे में डॉक्टर बाप-बेटा ने घर पर ही ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया। सिरसा में कार्यरत एमडी फिजिशियन की मदद लेते रहे। तीनों एक-दूसरे का सहारा बने रहे। 30 अप्रैल को डा. विनय तथा डा. वरुण ने छाती का एक्स-रे करवाया तो कोरोना का प्रभाव नजर नहीं आया। विशेषज्ञ ने बताया कि वैक्सीनेशन के प्रभाव के कारण ऐसा हुआ है।

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यह रहती दिनचर्या

डा. विनय सेठी गोरीवाला में क्लीनिक चलाते हैं। पॉजिटिव होने से क्लीनिक बंद था तो सुबह 6.30 बजे उठने लगे। एक घंटा मेडिटेशन से दिन की शुरूआत होने लगी। पत्नी, बेटा भी मेडिटेशन करने लगे। फोन पर मरीजों को सलाह देते रहते। मोबाइल एप पर विदेशी भाषा सीखने में समय बिताया। जब भी प्यास लगी तो गर्म पानी पीते। अंग्रेजी दवा के साथ-साथ आयुष विभाग की दवा काम आई। खांसी चली गई, बुखार भी दूर हो गया। सर्वेंट राहुल तथा अस्पताल स्टॉफ के परिवार को मॉटीवेट करते रहे। इस प्रकार 10 दिन में पूरे परिवार ने कोरोना को हरा दिया।

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यूं परिवार में पहुंचा कोरोना

डा. वरुण सेठी चौटाला गांव के सरकारी अस्पताल में एमओ (मेडिकल अफसर) कार्यरत है। अप्रैल माह में सिरसा में कोविड अस्पताल में 15 दिन की डेपूटेशन पर तैनात हुए थे। ड्यूटी पूरी होने के बाद 16 अप्रैल को घर लौटे थे। तीन दिन बाद 18 अप्रैल को सबको बुखार तथा शरीर दर्द की शिकायत होने लगी थी। जिसके बाद सभी ने बारी-बारी से जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आने लगी।

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मैंने तथा मेरे बेटे डा. वरुण ने मार्च माह के प्रथम सप्ताह में वैक्सीनेशन की दूसरी डोज लगवाई थी। पत्नी नीरजा सेठी तथा पिता को प्रथम डोज लगी थी। मई के प्रथम सप्ताह में दूसरी डोज लगवाने की योजना थी। इससे पहले ही कोरोना ने जकड़ लिया। वैक्सीनेशन करवाना हमारे के लिए अच्छा रहा। कोरोना संक्रमण फेफड़ों तक नहीं पहुंचा।

-डॉ. विनय सेठी, गोरीवाला।

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