श्री गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने प्रस्तुत किया लोकतंत्र का वास्तविक बिब: डा. रवि रविदर

दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभागाध्यक्ष डा. रवि रविदर ने कहा कि त्याग की मूर्ति व अद्वितीय बलिदान की विलक्षण उदाहरण प्रस्तुत करने वाले श्री गुरु तेग बहादुर जी बचपन से ही त्याग एवं बैरागी स्वभाव के स्वामी थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 06:00 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 06:00 PM (IST)
श्री गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने प्रस्तुत किया लोकतंत्र का वास्तविक बिब: डा. रवि रविदर
श्री गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने प्रस्तुत किया लोकतंत्र का वास्तविक बिब: डा. रवि रविदर

जागरण संवाददाता, सिरसा: दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभागाध्यक्ष डा. रवि रविदर ने कहा कि त्याग की मूर्ति व अद्वितीय बलिदान की विलक्षण उदाहरण प्रस्तुत करने वाले श्री गुरु तेग बहादुर जी बचपन से ही त्याग एवं बैरागी स्वभाव के स्वामी थे। इसी लिए उनकी वाणी मानवीय-तृष्णाओं का विश्लेषण करने का साम‌र्थ्य रखती है। डा. रविद्र शनिवार को राजकीय महिला महाविद्यालय, सिरसा में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में गुरबाणी का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर उच्चतर शिक्षा निदेशालय, हरियाणा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी मानवीय जीवन को सभी मुद्दों के साथ वैश्विक स्तर पर पर्यावरण एवं पानी जैसे सरोकारों के प्रति भी सचेत रहे। डा. रवि ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए अपना बलिदान देकर श्री गुरु तेग बहादुर जी ने लोकतंत्र का सही माडल प्रस्तुत किया है।

--जीवन व त्याग से हम अपने जीवन को सफल और सुगम बना सकते

प्राचार्य डा. राम कुमार जांगड़ा ने कहा कि विषय-वस्तु में दक्ष और कार्यकुशल व्यक्ति बहुत ऊंचे पद पर पहुंच तो सकता है परंतु उस पद पर कायम तभी रहेगा यदि वह मानव मूल्यों एवं जीवन मूल्यों से भरपूर व्यवहार कुशल होगा। श्री गुरु तेगबहादुर दोनों पहलुओं से ओतप्रोत थे। उनके जीवन व त्याग से हम अपने जीवन को सफल और सुगम बना सकते हैं। मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. दलजीत सिंह के समन्वय व पंजाबी विभागाध्यक्ष डा. हरविदर सिंह के संयोजन में आयोजित इस सेमिनार में उच्चतर शिक्षा निदेशालय के उप-निदेशक डा. सुखविदर सिंह ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग से डा. परमजीत कौर सिद्धू ने सेमिनार का बीज-वक्तव्य प्रस्तुत किया और राजकीय नेशनल महाविद्यालय, सिरसा के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. रविदर पुरी ने मुख्य रिसोर्स परसन के तौर पर अपना व्याख्यान दिया।

वाणी का विश्लेषण प्रस्तुत किया

उप-निदेशक डा. सुखविदर सिंह ने श्री गुरु तेग बहादुर की वाणी का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए जन-कल्याण के लिए वर्तमान में इसे और भी प्रामाणिक एवं प्रासंगिक बताया। उन्होंने ऐसे आयोजनों को वर्तमान की अनिवार्यता बताया। सेमिनार का बीज-वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डा. परमजीत कौर सिद्धू ने कहा कि वैश्विक महामारी के चलते गत दो वर्षों के मुश्किलों भरे दौर ने मानवीय जीवन से संबंधित आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, पारिवारिक रिश्तों, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य समेत तमाम मानवीय मूल्यों को प्रभावित किया है। संकट के इस दौर में मानवीय जीवन में पनपे अकेलेपन व अवसाद को दूर करने में गुरबाणी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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