टिड्डी दल से सिरसा को राहत, खतरा फिलहाल टला

जिले के कर्मशाना और बेहरवाला गांव में टिड्डियों के दिखाई देन

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 10:37 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 10:37 AM (IST)
टिड्डी दल से सिरसा को राहत, खतरा फिलहाल टला
टिड्डी दल से सिरसा को राहत, खतरा फिलहाल टला

जागरण संवाददाता, सिरसा : जिले के कर्मशाना और बेहरवाला गांव में टिड्डियों के दिखाई देने के बाद बृहस्पतिवार को टिड्डियों से राहत रही। हनुमानगढ़ जिले के बिरकाली व कीकरांवाली का टिड्डी दल सिरसा की ओर नहीं बढ़ा है। बिरकाली का टिड्डी दल डेढ़ किमी से अधिक चौड़ा है। कुछ किलोमीटर उड़ान भरने के बाद यह टिड्डी दल वापस उसी दिशा में लौट गया जिससे आया था। हालांकि टिड्डी दल ने दिन भर में 15 किमी का सफर भी नहीं किया और पहले से ठहरे क्षेत्र में ही घूम रहा है। कीकरांवाली में दिख रहा टिड्डी दल चौटाला की ओर आने की बजाय अबोहर की ओर पंजाब की तरफ कुछ किलोमीटर आगे बढ़ा है। अधिकारियों ने कहा कि सिरसा के कर्मशाना और बेहरवाला गांव में छोटे स्तर पर टिड्डियां थी जिनमें से ज्यादातर वापस राजस्थान की और निकल गई हैं। सब तैयारियां पूर्ण, रात को बैठी तो वहीं मारेंगे

कृषि उप निदेशक डा. बाबूलाल ने कहा कि टिड्डी दल आ सकता है। पूरी तरह अलर्ट हैं। राजस्थान के अधिकारी भी उसे नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। बड़ी मुश्किल तब है जब टिड्डी दल कई भागों में बंट जाए। फिलहाल हनुमानगढ़ जिले में दो स्थानों पर टिड्डी दल है। इसे अधिक दूर नहीं कह सकते। कृषि विभाग की सभी तैयारियां पूर्ण हैं। रात को जहां दल बैठेगा तो उस पर दवा का छिड़काव किया जाएगा। बड़े स्तर पर दवा का स्टॉक किया गया है। दिन में स्प्रे का असर नहीं पड़ता इसलिए रात को बैठने के बाद ही उसे खत्म किया जाएगा। पीली से गुलाबी खतरनाक और हमला भी गुलाबी का

टिड्डियों को नियंत्रण करने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान वेलफेयर मंत्रालय के वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के संयुक्त निदेशक डा. संजय आर्य के अनुसार यह गुलाबी टिड्डी का हमला है। यह अधिक खतरनाक है। एक तरह से अव्यसक है और टिड्डी की दूसरी स्टेज है। तीसरी स्टेज जिसे वयस्क भी है जिसे पीली टिड्डी बोलते हैं यह सबसे कम घातक है। गुलाबी या मटमैले रंग की टिड्डी सबसे अधिक खाती है। अंडे देने की संभावनाएं सबसे कम

डा. आर्य ने बताया कि वे टिड्डियों के नियंत्रण करने के लिए जोधपुर आइटी में शामिल हैं। पीली अवस्था की टिड्डी अंडे देती है, गुलाबी अवस्था की टिड्डी दल में अंडे देने वाली टिड्डियां काफी कम होती हैं। बरसात का मौसम नहीं है इसलिए जमीन की नमी न हो तो अंडे देने की संभावनाएं वैसे भी कम होती हैं। नरम जमीन व नमी मिलने पर ही अंडे देने की प्रक्रिया शुरू होती है और सात से दस दिन के दौरान अंडे से बच्चा बनता है। स्प्रे छिड़कने के लिए पहली बार ड्रोन का प्रयोग

राजस्थान में टिड्डी नियंत्रण करने में अधिक परेशानी आ रही है। वहां पेड़ों पर टिड्डियां बैठ रही हैं क्योंकि फसल होने पर टिड्डी दल जमीन पर बैठता है जहां आसानी से स्प्रे का छिड़काव किया जा सकता है। ऊंचे पेड़ पर स्प्रे करना बड़ा मुश्किल है इसलिए वहां ड्रोन की मदद से स्प्रे करने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी बताया कि टिड्डी दल दिन छिपने के बाद एक जगह बैठ जाता है और सुबह ही वहां से उठता है इसलिए रात के दौरान उसे स्प्रे छिड़ककर मारने का अभियान चलता है। धुआं करने या ढोल बजाने से ऊंचाई पर चला जाता है टिड्डी दल

डा. संजय आर्य ने बताया कि शोर करने पर टिड्डी दल बैठता नहीं है बल्कि जगह छोड़ देता है और काफी ऊंचाई पर उड़ान भर लेता है। इससे टिड्डी खत्म नहीं होती लेकिन उस जगह पर बैठती नहीं। इसी तरह धुआं करने से भी यह बैठ नहीं पाती बल्कि आगे की ओर निकल जाती है। टिड्डी दल को मारना रात को आसान है।

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