जल संरक्षण के महत्व को समझ छोड़ी धान की खेती, नरमा फसल से मुनाफे के साथ उठा रहे योजना का लाभ

जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। प्रदेश सरकार ने स्ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:21 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:21 AM (IST)
जल संरक्षण के महत्व को समझ छोड़ी धान की खेती, नरमा फसल से मुनाफे के साथ उठा रहे योजना का लाभ
जल संरक्षण के महत्व को समझ छोड़ी धान की खेती, नरमा फसल से मुनाफे के साथ उठा रहे योजना का लाभ

जागरण संवाददाता, सिरसा : जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। प्रदेश सरकार ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं। इसी कड़ी में पिछले साल शुरू की गई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना ने आमजन में एक नई राह दिखाने का काम किया। जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए किसान सरकार की इस योजना का न केवल लाभ उठा रहे हैं, बल्कि फसल विविधीकरण कर अधिक पैदावार के साथ मुनाफा भी कमा रहे हैं। इन्हीं किसानों में जिला सिरसा के गांव चिलकनी ढाब के पृथ्वी सिंह भी है, जिसने योजना की शुरुआत से ही धान की फसल छोड़कर नरमा कपास की खेती करने लगे थे। पृथ्वी सिंह अब न केवल सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत प्रति सात हजार रुपये का लाभ ले रहे हैं, बल्कि पानी की बचत के साथ कपास की अधिक पैदावार लेकर मुनाफा भी कमा रहे हैं।

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पृथ्वी सिंह का मानना है कि जल को बचाना व संरक्षित करना हर व्यक्ति की जिम्मेवारी है। इसी सोच के साथ उसने पानी के महत्व को समझते हुए 19 एकड़ में धान की फसल की जगह नरमा की फसल बोई। पृथ्वी ने बताया कि वे मेरा पानी-मेरी विरासत योजना की शुरुआत से ही धान की जगह कपास की खेती कर रहे हैं कपास की फसल की न केवल अच्छी पैदावार हुई बल्कि सरकार द्वारा कपास को एमएसपी पर खरीदा गया।

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गांव चिलकनी ढाब के ही किसान ओम प्रकाश भी धान की फसल छोड़ कपास व मूंग की खेती करके जल संरक्षण में अपना योगदान दे रहे है। ओमप्रकाश जो पहले 3.5 एकड़ धान की फसल में खेती करते थे। प्रदेश सरकार की जल बचाव मुहिम के तहत मेरा पानी मेरी विरासत योजना के उद्देश्य को समझते हुए धान की खेती करना छोड़ दिया। ओमप्रकाश अब धान की जगह 5.5 एकड में नरमा व 5 एकड़ में मूंग की खेती कर रहे है।

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