पतंजलि को टक्कर देना चाहता था राम रहीम, इसीलिए बनाई थी एमएसजी
गुरमीत राम रहीम कारोबार की दुनिया में भी तेजी से आगे बढ़ रहा था। स्वामी रामदेव के पतंजलि को टक्कर देने के लिए ही उसने एमएसजी बनाई थी।
जेएनएन, सिरसा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम कारोबार की दुनिया में भी तेजी से आगे बढ़ रहा था। स्वामी रामदेव के पतंजलि को टक्कर देने के लिए ही उसने एमएसजी बनाई थी। डेरा मुखी कृषि और पशुपालन में तो पहले से ही अच्छा कारोबार कर रहा था। बाद में यहां फैक्टरियां लगने लगीं और फिर रामदेव की पतंजलि को टक्कर देने के लिए एमएसजी कंपनी बना रिटेल बाजार में डेरा आ गया।
डेरे ने कपड़ा, रसोई सामान के साथ ही इलेक्ट्रोनिक आइटम भी मार्केट में उतार दिए। बड़े-बड़े शहरों में कंपनी के आउटलेट्स खोले गए तो कंपनी का ब्रांड अंबेसडर खुद डेरा प्रमुख था। प्रमोशन के लिए कार्यक्रम किए गए, लेकिन डेरे ने अपनी पूरी मार्केट श्रद्धालुओं के क्षेत्र में ही विकसित की, ताकि उत्पाद की बिक्री में किसी प्रकार की दिक्कत न आए और उन्हें आसानी से खपाया जा सके।
अपना ही साम्राज्य स्थापित करने में लगा था डेरा
डेरा प्रमुख अपना साम्राज्य स्थापित करने में लगा था। खुद की फोर्स, खुद के सेवादार, खुद के ही खिलाड़ी, कोच, खेल मैदान, मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, तरह तरह के उत्पादों की फैक्टरी और न जाने क्या-क्या। उसके बढ़ते साम्राज्य का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसे हवाई अड्डों पर विशेष छूट थी। डेरा प्रमुख के काफिले में 400 से 500 वाहन चलते थे, जिनमें दमकल गाड़ी और एंबुलेंस भी शामिल थी।
सड़क पर काफिले की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती थी और टोल नाकों से भी बिना टोल दिए ही काफिला गुजर जाता था। काफिले को एक जिले की सीमा क्षेत्र से दूसरे जिले तक की सीमा क्षेत्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पुलिस की होती थी, परंतु इसके अलावा सड़क पर सैंकड़ों सेवादार लाठियां लेकर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर तैनात रहते थे। डेरा प्रमुख अपनी सुरक्षा को लेकर सरकारों की बजाय खुद के आदमियों पर ज्यादा भरोसा करता था।
मल्टी टेलेंटिड प्रतिभा से अनुयायियों को प्रभावित करता था डेरा प्रमुख
कहने को तो डेरा प्रमुख मात्र दसवीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है परंतु वह खुद को हर क्षेत्र में पारंगत बताता था। इंजीनियरिंग, खेलकूद, अभिनय, गीत, संगीत, डिजाइनिंग आदि कलाओं में महारत हासिल होने का दावा करने वाला गुरमीत सिंह वीडियो के माध्यम से अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर श्रद्धालुओं को प्रभावित करता था। गीत संगीत पर आधारित रूबरू नाइट में रॉक स्टॉर की भांति एंट्री, रातभर गाने गाना व उन पर थिरकना, स्टंट दिखाना गुरमीत का एक अलग अंदाज था।
एमएसजी सीरीज की फिल्मों के माध्यम से सिनेमा जगत में एंट्री करना और फिल्मों की कमाई करोड़ों में होने का दावा करने वाले गुरमीत की ऑनलाइन गुरुकुल फिल्म बीच में ही अटकी पड़ी है। उसका सपना 'द बर्थ' फिल्म बनाने का था, जिसमें वह ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करना चाहता था। सिरसा में ही खुद का फिल्मीस्तान स्थापित कर लिया था। अभी तक आई सभी फिल्मों की शूटिंग यहीं हुई थी और अब तो यहां पर बहुत बड़ा वीएफएक्स हॉल भी बना लिया था, जिस पर अब ताला जड़ा हुआ है।
गुफा ऐसी की आकाश से भी नहीं हो सकता हमला
डेरा की गुफा को सुरक्षा की दृष्टि से अभेद्य बनाया गया था। चारों तरफ कड़ी सुरक्षा के बीच कोई व्यक्ति छत से भी हमले को अंजाम नहीं दे सकता था। छत के ऊपर से अंदर प्रवेश का एक ही छोटा रास्ता रहा और इसे भी बुलेटप्रुफ के ढंग से तैयार किया गया।
गुफा में जाने वाले बताते हैं कि दरवाजे भी इलेक्ट्रिक कोड या चेहरा पहचान कर दरवाजा खुलता था। गुफानुमा महल में अलग अलग कमरे बने हुए हैं और लिफ्ट भी लगी है। यदि कोई एक दरवाजा पार कर ले तो दूसरा पार नहीं कर सकता। कमरों के अलावा गुफा में ही स्वीमिंग पुल व बड़ा डायनिंग हाल है जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो सकते हैं। गुफा के चारों तरफ सौ फुट ऊंची दीवारें हैं।
स्वच्छता अभियान का ब्रांड अंबेसडर बनना चाहता था
बेशक भाजपा सरकार ने देशभर में स्वच्छता अभियान शुरू किया हो परंतु डेरा सच्चा सौदा ने सितंबर 2011 से स्वच्छता अभियान शुरू किए थे। अभियानों के तहत देशभर में 32 सफाई अभियान हो चुके थे। भाजपा सरकार आने के बाद डेरा प्रमुख सरकार से जुड़कर अभियान चलाने लगे। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुदूर के राज्यों में सफाई अभियानों में जाने वाले सेवादारों का टोल टैक्स भी नहीं लगता था। डेरा प्रमुख चाहते थे कि केंद्र सरकार उन्हें स्वच्छता का ब्रांड अंबेसडर घोषित करे, लेकिन सरकार ने इस पर विचार ही नहीं किया।