पापा बोले थे- जरूरी नहीं टीचर ही बनो, पढ़ाई के साथ नौकरी के फार्म भी भरा करो

हरियाणा ग्रुप डी परीक्षा में चुनी गई लक्ष्‍मी एचटेट पास हैं। उनका कहना है कि पिता की प्रेरणा से उन्‍होंने ग्रुप डी के लिए फार्म भरा था। उनके पिता मजदूरी करते हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 10:42 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 06:42 PM (IST)
पापा बोले थे- जरूरी नहीं टीचर ही बनो, पढ़ाई के साथ नौकरी के फार्म भी भरा करो
पापा बोले थे- जरूरी नहीं टीचर ही बनो, पढ़ाई के साथ नौकरी के फार्म भी भरा करो

सिरसा, [महेंद्र सिंह मेहरा] हम हमेशा पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थी। तीनों बहनें मिलकर पढ़ाई करती थीं। इससे हमेशा आगे बढ़ने का हौसला भी मिलता रहता था। एक दिन जब पढ़ाई कर रही थी तो पापा ने कहा, बेटा पढ़ाई के साथ नौकरी के फार्म भी भरा करो। जरूरी नहीं कि आप टीचर ही बनो। यह कहना है गांव कागदाना निवासी लक्ष्मी का।

गांव कागदाना में मजदूरी करने वाले कृष्ण कुमार के तीन बेटियां हैं। कृष्ण कुमार की दो बेटियां लक्ष्मी व संतोष का चयन ग्रुप डी की भर्ती में हुआ है।  कृष्ण कुमार की सबसे बड़ी लड़की लक्ष्मी ने जेबीटी करने के साथ तीन बार एचटेट की परीक्षा पास की हुई है। अभी लक्ष्मी बीकानेर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र से एमए कर रही है। वह नेहरू युवा केंद्र में स्वयंसेवक के तौर पर कार्य कर समाज सेवा कर रही है। संतोष सीएमके कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वहीं मैना राजकीय महिला कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है।

लक्ष्मी ने बताया कि एक दिन तीनों बहनें एक दिन पढ़ाई कर रही थीं। तभी पिता मजदूरी से लौटकर आए। उन्होंने कहा, जरूरी नहीं की टीचर बनो, जो भी नौकरी के फार्म निकले भरो करो। इसके कुछ दिन बाद ही ग्रुप डी के फार्म निकले। इसके बाद तैयारी कर परीक्षा दी।

आज बहुत खुशी मिली

लक्ष्मी व संतोष ने बताया कि आज सुबह ही परीक्षा परिणाम देखा। जिसमें दोनों बहनों का चयन था। इस पर बहुत खुशी मिली। आज पिता ने जो कहा वह कर दिखाया। लक्ष्मी ने कहा कि मेरी इच्छा तो टीचर बनने की है। इसके लिए आगे भी प्रयास करती रहूंगी। 

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'' मुझे बेटियां पर गर्व है। बेटियों को हमेशा बेटों की तरह देखता हूं। मैं हमेशा यही चाहता हूं कि बेटियां पढ़ लिखकर कुछ बनें।

                                                                                               - कृष्ण कुमार, निवासी, गांव कागदान।

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